भरतपुर: एक नवजात शिशु के पिता ने शनिवार को आरोप लगाया कि राजस्थान के भरतपुर जिले के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को भर्ती करने से इस वजह से मना कर दिया क्योंकि वह मुस्लिम थी। उनका कहना है है कि उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, 34 वर्षीय इरफान खान ने कहा कि उनकी पत्नी को एम्बुलेंस से जयपुर ले जाया जा रहा था। लेकिन अस्पताल से निकलने के बाद महिला ने एंबुलेंस के अंदर बच्चे को जन्म दिया, कुछ ही देर में नवजात की मौत हो गई। हालांकि, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री और भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग ने इस बात को सिरे से इनकार किया है कि परिवार को जयपुर जाने के लिए कहा गया था क्योंकि वे मुस्लिम हैं।
उन्होंने कहा कि मामले की जांच का आदेश दिया गया है। वहीं, जनाना अस्पताल के डॉ रूपेंद्र झा ने इस ममाले में कुछ भी कहने से इनकार किया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, मैं इस मामले में जांच के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा।' वहीं, चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया ने कहा कि जांच का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन जांच करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
जबकि, नवजात के पिता खान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें लगता है कि डॉक्टर को लगता है कि वे तब्लीगी जमात से जुड़े हुए हैं। खान ने बताया, जब हम कल रात सीकरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गए तो उन्होंने हमें जिला अस्पताल रेफर किया। हम आज सुबह भरतपुर के अस्पताल गए। लेकिन लेबर रूम में डॉक्टरों ने मेरा नाम और पता पूछा। मैंने उन्हें अपना नाम बताया और कहा कि मैं नागर से आया हूँ। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं मुस्लिम हूं। मैंने कहा-हाँ। इसके बाद डॉक्टर सतर्क हो गए और कहा, 'यदि आप मुस्लिम हैं, तो आपको यहां इलाज नहीं मिलेगा।
वहीं, राजस्थान सरकार में मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भरतपुर के सरकारी अस्पताल के ओबीएस और गायनो विभाग के एचओडी पर निशाना साधा। उन्होंने इस पूरे मामले का एक वीडियो भी ट्वीट किया है। आरोपी डॉक्टर का नाम मोनित वालिया है। मंत्री ने कहा कि इससे शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता। ये एक सेक्युलर स्टेट है और सरकार ऐसे मामलों को लेकर गंभीर है।