राजस्थानः खींवसर और मंडावा विधानसभा उपचुनाव के नतीजे बदले तो कांग्रेस को होगा फायदा!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: September 30, 2019 18:36 IST2019-09-30T18:36:32+5:302019-09-30T18:36:32+5:30

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में खींवसर सीट से कांग्रेस से पूर्व आईपीएस सवाई सिंह चुनाव लड़े थे, लेकिन आरएलपी के हनुमान बेनीवाल जीत गए. बाद में हनुमान बेनीवाल बीजेपी के सहयोग से सांसद बन गए, जिसके कारण यह सीट खाली हो गई. अब उपचुनाव में कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को चुनाव में उतारा है

Rajasthan: If the results of the Khivansar and Mandawa assembly by-elections change, the Congress will benefit! | राजस्थानः खींवसर और मंडावा विधानसभा उपचुनाव के नतीजे बदले तो कांग्रेस को होगा फायदा!

बीजेपी ने कोई सियासी रिस्क नहीं लेते हुए बेनीवाल की पार्टी को यह सीट दे दी है

Highlightsमंडावा विधानसभा सीट कांग्रेस के प्रभुत्व वाली सीट रही हैपिछली बार यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.

खींवसर और मंडावा विधानसभा उपचुनाव के नतीजे यदि बदले, तो कांग्रेस को फायदा होगा, क्योंकि जहां पहले ये सीटें गैर-कांग्रेसियों के पास थीं, वहीं अब इन्हें बचाना बीजेपी और साथी दल के लिए चुनौती है. पिछले चुनाव में खींवसर और मंडावा विधानसभा सीटें क्रमशः आरएलपी और बीजेपी के खाते में गई थी, लिहाजा कांग्रेस जीत जाती है, तो विधानसभा में उसका संख्याबल बढ़ेगा.

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में खींवसर सीट से कांग्रेस से पूर्व आईपीएस सवाई सिंह चुनाव लड़े थे, लेकिन आरएलपी के हनुमान बेनीवाल जीत गए. बाद में हनुमान बेनीवाल बीजेपी के सहयोग से सांसद बन गए, जिसके कारण यह सीट खाली हो गई. अब उपचुनाव में कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को चुनाव में उतारा है, जो पूर्व में मूंडवा से विधायक रह चुके हैं. इस सीट से हनुमान बेनीवाल लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित हुए थे, इसलिए इस बार बीजेपी ने कोई सियासी रिस्क नहीं लेते हुए बेनीवाल की पार्टी को यह सीट दे दी है. यहां आरएलपी से हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल चुनाव मैदान में हैं.

वैसे तो मंडावा विधानसभा सीट कांग्रेस के प्रभुत्व वाली सीट रही है, लेकिन पिछली बार यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने यहां से रीटा चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से उनके पिता, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम नारायण चौधरी कई बार चुनाव जीते थे और उनके बाद उनकी पुत्री रीटा चौधरी ने 2008 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. जहां 2013 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी उन्होंने चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहीं, वहीं 2018 में कांग्रेस ने पुनः रीटा चौधरी को टिकट दिया, किन्तु वह बहुत कम वोटों से चुनाव हार गई.

उधर, बीजेपी ने झुंझुनूं के मौजूदा सांसद नरेंद्र खींचड़ के बेटे अतुल खींचड़ के बजाय सुशीला सीगडा को अपना उम्मीदवार बनाया है.यह उपचुनाव जहां कांग्रेस के लिए विधानसभा में संख्याबल बढ़ाने का अवसर है, वहीं गैर-कांग्रेसियों के लिए सीटें बचाने की चुनौती! 

Web Title: Rajasthan: If the results of the Khivansar and Mandawa assembly by-elections change, the Congress will benefit!

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