राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बागी तेवरों के बाद राजस्थानकांग्रेस की राजनीति में भू -चाल आ गया है। उच्चपस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के तमाम बड़े नेता अब इस संकट को टालने में जुट गए हैं। पार्टी की ओर से इस बात की कोशिश जा रही है कि पायलट को मना कर गहलोत और पायलट के बीच उठे विवाद को शांत कराया जाये . इधर अशोक गेहलोत ने पार्टी विधायकों को बुला कर यह साबित करने की कोशिश की बहुमत अभी उनके साथ है।
लोकमत से बातचीत करते हुए गहलोत ने दावा किया की 109 विधायकों का समर्थन उनके साथ है तथा 6 अन्य के वे संपर्क में हैं। गहलोत ने जोर देते हुए कहा की उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। पार्टी के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने लोकमत को बताया की भाजपा सरकार गिराने की जो साज़िश कर रही है उसे कामयाब नहीं होने दिया जायेगा, चाहे भाजपा कितना भी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर ले, उनका सीधा इशारा आज गहलौत समर्थकों पर डाले गये आयकर और ई डी के छापों की ओर था।
पायलट और गहलौत के बीच मतभेदों को निपटाने में जुटी पार्टी
पायलट और गहलौत के बीच मतभेदों की गंभीरता को भांप कर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस विवाद को निपटाने में पुरज़ोर तरीके से लगा हुआ है लेकिन अभी तक उसे कोई ख़ास कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है। रविवार और सोमवार के बीच अहमद पटेल , पी चिदंबरम , के सी वेणुगोपाल सरीखे नेताओं ने पायलट से बात की और सलाह दी की वे आमने- सामने बैठ कर विवाद को सुलझाएं। उनके जो भी मुद्दे हैं उनका सम्मान जनक हल निकाला जायेगा।
राहुल गाँधी से सचिन पायलट की हालाँकि कोई मुलाक़ात तो नहीं हुई लेकिन पार्टी सूत्रों ने दावा किया की दोनों नेताओं के बीच संपर्क बना हुआ है,इसकी पुष्टि करते हुये वेणुगोपाल ने बताया कि पार्टी के तमाम बड़े नेता सचिन को समझाने में लगे हैं ,जिसके अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद है ।
राजस्थान में बिगड़ते हालात को देख विवाद को सुलझाने में जुटी कांग्रेस
बावजूद इसके हालात बिगड़ते देख सोनिया गाँधी ने प्रियंका गाँधी को आगे कर गहलोत और पायलट से बातचीत कर विवाद को सुलझाने को कहा है। वहीँ राहुल गाँधी ने पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य राजीव को एक विशेष सन्देश देकर जयपुर रवाना कर दिया है। पार्टी सूत्र बताते हैं की वह गहलोत को समझाने की कोशिश करेंगे की पायलट मंत्रिमंडल में जिन विभागों की मांग कर रहे हैं वे विभाग उन्हें दे दिए जायें ताकि विवाद को यहीं विराम दिया जा सके । इस सूत्र का यह भी कहना था की गेहलोत को कहा जा सकता हैं की वे स्वयं सचिन पायलट से बात करें और विवाद को सुलझाएं। इससे पूर्व जयपुर में गेहलोत ने विधायकों की बैठक बुला कर उनको एक जुट रखने के लिए बसों से रिसोर्ट रवाना कर दिया है ताकि भाजपा मौके का फायदा उठा कर कोई तोड़ फोड़ ना कर सके।
सचिन ने किया 30 विधायक समर्थकों के होने का दावा
लोकमत ने जब पायलट को संपर्क किया तो उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया तब लोकमत ने परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य से संपर्क किया तो परिवार के इस सदस्य ने विस्तार से तो कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन साफ़ किया की सचिन ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे गाँधी परिवार को धक्का पहुंचे। हालाँकि परिवार के इस सदस्य ने साफ़ किया की सचिन के साथ जो व्यवहार किया गया है उसके बाद किसी की भी नाराज़गी जायज़ है। अब कांग्रेस की पूरी कोशिश इस बात को लेकर है की किसी तरह सचिन को वापस लाया जाए , सचिन के समर्थक 30 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस सूत्रों का कहना है की उनके साथ केवल 10 विधायक हैं। सचिन की ओर से अब तक ना तो कोई सीधा बयान आया है और ना ही उन्होंने अपनी रणनीति का खुलासा किया है। सचिन कहाँ है इसकी भी किसी को जानकारी नहीं है अलबत्ता कयास लगाए जा रहे हैं की वे अपने समर्थकों के साथ मानेसर के 5 तारा होटल में हैं तथा पूरे घटना क्रम पर नज़र रख रहे हैं।
सचिन पायलट दबाब के ज़रिये मनवाना चाहते हैं अपनी मांगे
कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि सचिन काफ़ी आगे निकल चुके हैं और उनके तेवर जस के तस बने हुये हैं लेकिन समर्थक विधायकों की कम संख्या होने के कारण पायलट दबाब की राजनीति के ज़रिये अपनी मांगों को मनवाना चाहते हैं जिसके तहत वे अपने समर्थकों के लिए मंत्रिमंडल में अतिरिक्त जगह के साथ -साथ गृह और वित्त जैसे मंत्रालय चाहते हैं। अभी यह दोनों ही मंत्रालय मुख्यमंत्री गेहलोत के पास हैं। मना जा रहा है की सुलह के फ़ॉर्मूले के तहत गेहलोत को इन दोनों विभागों में से एक विभाग पायलट के लिए छोड़ना पड़ सकता है।