राजस्थान चुनावः चुनावी नतीजों के दिन त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में क्यों गई थी वसुंधरा राजे?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 11, 2018 01:51 PM2018-12-11T13:51:21+5:302018-12-11T13:51:21+5:30
वसुंधरा राजे देवी त्रिपुरा सुंदरी की परम भक्त हैं और अपना हर महत्वपूर्ण कार्य शुरू करने से पहले वे देवी के दरबार में हाजरी जरूर देती हैं। पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान भी वे मतगणना के दिन देवी के दरबार में मौजूद थीं।
वसुंधरा राजे देवी त्रिपुरा सुंदरी की परम भक्त हैं और अपना हर महत्वपूर्ण कार्य शुरू करने से पहले वे देवी के दरबार में हाजरी जरूर देती हैं। पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान भी वे मतगणना के दिन देवी के दरबार में मौजूद थीं।चुनाव शुरू होते वक्त राजे की ओर से राजस्थान देवस्थान बोर्ड के अध्यक्ष एसडी शर्मा देवी के दरबार में तो गए थे, लेकिन वागड़ में चुनाव प्रचार के दौरान भी राजे देवी के दर्शनार्थ नहीं जा पाईं थी। इसलिए उनका देवी त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर जाना तो तय माना जा रहा था।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शायद राजे, राजस्थान के नतीजों को लेकर तो पहले से ही बदली हुई सियासी तस्वीर के बारे में जानती थीं, परन्तु जिस तरह से कांग्रेस ने मानवेन्द्र सिंह को चुनावी मैदान में उतार कर उन्हें घेरने की कोशिश की और कुछ अपनों के ही छुपे विरोध के कारण, उन्हें अच्छे संकेत नहीं मिल रहे थे।
मतगणना से कुछ समय पहले जिस तरह से राजस्थान के एक प्रमुख ज्योतिषी ने राजे के हार सकने, तक की भविष्यवाणी की थी, उसे देखते हुए भी मनोबल बनाए रखने के लिए उनका त्रिपुरा सुंदरी आना तय माना जा रहा था।
बहरहाल, वे त्रिपुरा सुंदरी आई और चुनाव में झालरापाटन से अपनी स्थिति मजबूत देखने के साथ ही दर्शन-पूजा करके लौट गई।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की राजनीति में देवी त्रिपुरा सुंदरी की बड़ी मान्यता है तथा सत्ता प्रदान करने वाली देवी के दरबार में देश के अनेक राजनेता नियमितरूप से आते रहे हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी देवी त्रिपुरा के परमभक्त थे तथा देवी त्रिपुरा के ही परमभक्त पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी ने यहां अनेक प्रमुख व्यक्तियां के लिए संकल्प पूजा करवाई थी।
इस बार वागड़ में चुनाव प्रचार के दौरान राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी देवी के दरबार में पहुंचे थे तथा चुनाव में जीत के लिए पूजा-प्रार्थना की थी।