राजस्थानविधानसभा चुनाव 2018 के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से ज्ञानदेव आहूजा का टिकट नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। वहीं, इस सियासी उठापटक के बीच बीजेपी ने बड़ा दांव खेलकर ज्ञानदेव को सूबे में पार्टी का उपाध्यक्ष पद सौंपा है।
बीजेपी ने गुरुवार (22 नवंबर) को अपने संगठनात्मकर ढांचे में परिवर्तन किया और विधायक ज्ञानदेव आहूजा को प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया है। इसके आदेश पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने जारी किए।
आपको बता दें, बीजेपी ने रामगढ़ से विधायक ज्ञानदेव आहूजा टिकट काट दिया था, जिसके बाद उन्होंने बगावती तेवर अख्तियार किए थे और राजस्थान की चर्चित सीट सांगानेर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था।
बताया जा रहा है आहूजा ने अपना निर्णय उसके बाद बदला है जब उनकी मुलाकात बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से जयपुर में एयरपोर्ट पर हुई। उन्होंने शाह से मुलाकात करने के बाद अपना नामांकन वापस ले लिया और अब बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन करेंगे।
पार्टी की ओर से प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के बाद ज्ञानदेव आहूजा ने कहा, 'पार्टी उनकी मेरी मां है और मैं इसकी सेवा अंतिम दम तक करूंगा।' इधर, सबसे बड़ी बात यह भी है कि ज्ञानदेव के सांगानेर से लड़ने के बाद यह बीजेपी खेमे में खलबली मच गई थी क्योंकि वह हिन्दुत्व की छवि और एजेंडे के साथ चुनाव लड़ने वाले थे।
उल्लेखनीय है ज्ञानदेव आहूजा अलवर जिले की रामगढ़ सीट से लगातार दो बार से विधायक रहे हैं। 1993 में पहली बार रामगढ़ से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने 1998 में पहली बार जीत हासिल की थी। हालांकि 2003 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जबकि 2008 और 2013 से उन्हें जीत मिली।
इधर, ज्ञानदेव आहूजा विवादत बयानों के लेकर अक्सर चर्चा में रहे हैं। सबसे ज्यादा उनकी आलोचना जेएनयू को लेकर दिए गए बयान में हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जेएनयू में रोजाना करीब 50 हजार हड्डी के टुकड़े और 3 हजार से ज्यादा इस्तेमाल किए हुए कंडोम मिलते हैं। यही नहीं उन्होंने दावा किया था कि 500 से ज्यादा इस्तेमाल किए हुए अबॉर्शन इंजेक्शन भी जेएनयू में मिलते हैं। उनके ऐसे बयानों को लेकर यह तय माना जा रहा था कि बीजेपी इस बार उन्हें टिकट नहीं देने वाली है।