विभिन्न एग्जिट पोल के नतीजों पर भरोसा करें तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। यदि ऐसा होता है तो यह माना जाएगा कि पीएम मोदी सरकार के निर्णयों ने राजे सरकार की उपलब्धियों पर पानी फेर दिया है!
वजह साफ है, इस चुनाव में जनता को दर्द का अहसास कराने वाले मुद्दे- गैस, पेट्रोल, डीजल के दाम, नोटबंदी, जीएसटी, एससी-एसटी एक्ट संशोधन, आर्थिक आधार पर आरक्षण, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं आदि के आगे राजे सरकार की उपलब्धियां कहीं चर्चा में नहीं थी। यह तो आम जनता का दर्द था, लेकिन भाजपा समर्थक भी राम मंदिर निर्माण, धारा- 370, पद्मावती फिल्म प्रकरण आदि को लेकर पीएम मोदी सरकार की चुप्पी और उदासीनता से नाराज थे।
यही वजहें रहीं कि उपचुनाव से लेकर इस चुनाव तक भाजपा, मतदाताओं की खामोश नाराजगी का शिकार हुई है। दरअसल, पीएम मोदी सरकार ने अपने ही वोट बैंक- शहरी मतदाता और सामान्य वर्ग को नाराज कर दिया, क्योंकि इन साढ़े चार साल में पीएम मोदी सरकार के निर्णयों से सबसे ज्यादा प्रभावित ये ही मतदाता हुए हैं।
हालांकि, पीएम मोदी टीम ने चतुराई दिखाते हुए जनहित के मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश की और चुनाव को इमोशनल टच देने का भी प्रयास किया, लेकिन न तो जनता को पीएम मोदी टीम के तथ्य समझ में आए और न ही तर्क प्रभावित कर पाए।
अकेले राहुल गांधी भी पूरी पीएम मोदी टीम पर इसलिए भारी पड़े कि लंबे समय से जनता की नाराजगी भाजपा के प्रति बढ़ रही थी। इतना ही नहीं, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस भी लंबे समय से बिजली-पानी की समस्याओं, किसानों की समस्याओं, बेरोजगारों की समस्याओं को लेकर जनता के साथ खड़ी थी और लगातार धरने-प्रदर्शन भी किए।
मतदाताओं को जहां कांग्रेस द्वारा उठाए गए जनहित के मुद्दों ने प्रभावित किया वहीं, पीएम मोदी टीम द्वारा असली मुद्दों के बजाए राहुल गांधी के गोत्र, सामान्य ज्ञान और कांग्रेस के इतिहास को लेकर जो बेमतलब हमले किए गए और जो व्याख्याएं की गई, वे लोगों को पसंद नहीं आई।
भाजपा ने सबसे बड़ी गलती मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट नहीं दे कर की, भाजपा को लगा कि यूपी विस चुनाव की तरह यहां भी इसका फायदा मिलेगा, लेकिन जहां यूपी में मुस्लिम वोट सपा-बसपा में बंट गए थे, वहीं राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा की सीधी टक्कर में ये वोट कांग्रेस की ओर चले गए। इसका बड़ा नुकसान यह हुआ कि जो मुस्लिम मतदाता भाजपा से जुड़े थे वे भी फिर से दूर हो गए।
कांग्रेस ने प्रदेश के चुनाव में तमाम बड़े नेताओं को उतार कर इस सियासी जंग में कामयाबी तो पा ली, लेकिन आगे कि राह थोड़ी मुश्किल है। कौन बनेगा मुख्यमंत्री? यह तो बड़ा सवाल है ही, दस दिन में किसानों को कर्ज माफी, का दावा पूरा नहीं हुआ तो 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द बन जाएगा!