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राजस्थानः रंग और नाम बदलने की राजनीतिक राह पर कांग्रेस सरकार भी, लेकिन ऐसे बदलावों से होगा क्या?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: June 18, 2019 06:00 IST

पिछली बीजेपी सरकार पांच साल तक अपने सियासी नजरिए के मद्देनजर साइकिलों के रंग में ही नहीं, विभिन्न योजनाओं, स्कूली पाठ्यक्रमों आदि में भी बदलवा करती रही. अब कांग्रेस सरकार उस बदलाव को भगवा एजेंडा करार दे कर पुनः परिवर्तन कर रही है. 

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ठळक मुद्देप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भगवा रंग की साइकिलों की जगह काली रंग की साइकिलें बांटने का फैसला किया है. इस संबंध में प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि भाजपा सरकार ने 8.30 करोड़ खर्च करके साइकिलों का रंग बदला था

राजस्थान की पिछली बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद अपने राजनीतिक नजरिए से रंग, योजनाओं के नाम, पाठ्य सामग्री आदि में कई बदलाव किए थे. अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है.प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान बांटी गई भगवा रंग की साइकिलों की जगह फिर से काली रंग की साइकिलें बांटने का फैसला किया है. हालांकि, इस संबंध में प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि भाजपा सरकार ने 8.30 करोड़ खर्च करके साइकिलों का रंग बदला था, ऐसे में हमारी सरकार ने 8.30 करोड़ बचाए हैं. 

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में मेधावी छात्राओं को स्कूल आने-जाने के लिए साइकिल बांटने की योजना पिछली गहलोत सरकार ने ही शुरू की थी, परन्तु वसुंधरा राजे के सीएम बनने के बाद साइकिल का रंग काला से भगवा कर दिया था. तब भी कांग्रेस ने सरकार द्वारा रंग बदले जाने का विरोध किया था, किन्तु अब अशोक गहलोत के सत्ता में फिर से लौटने के बाद साइकिलों का रंग एक बार पुनः बदल गया है. आगे से काले रंग की साइकिलें ही दी जाएंगी.

पिछली बीजेपी सरकार पांच साल तक अपने सियासी नजरिए के मद्देनजर साइकिलों के रंग में ही नहीं, विभिन्न योजनाओं, स्कूली पाठ्यक्रमों आदि में भी बदलवा करती रही. अब कांग्रेस सरकार उस बदलाव को भगवा एजेंडा करार दे कर पुनः परिवर्तन कर रही है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद से ही विभिन्न ऐतिहासिक तथ्यों, नामों में बदलाव आदि को लेकर सियासी जंग जारी है और विविध बदलावों को लेकर कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने हैं. 

कुछ समय पहले प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने स्कूली छात्रों के लिये माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित प्रतिभा खोज परीक्षा से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया. इस पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना था कि पूर्व भाजपा सरकार ने प्रतिभा खोज परीक्षा में बिना किसी कारण के दीनदयाल उपाध्याय का नाम जोड़ दिया था, इसलिये नाम को हटाया. शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा दसवीं और बारहवीं के छात्रों के लिये आयोजित इस परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है. 

इस निर्णय के बाद पूर्व शिक्षा मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी ने ट्वीट किया- इंदिरा और नेहरू के खूंटे से नहीं बंधा रह सकता भारत. प्रदेश की राजस्थान सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय के नाम से शुरू की गयी पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कला एवं वाणिज्य प्रतिभा खोज परीक्षा से पंडित दीनदयाल जी का नाम हटाना कांग्रेस की चुनावी हार की बोखलाहट है. 

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस-बीजेपी के बीच इस तरह का विवाद हुआ है. कुछ समय पहले भी देवनानी ने संघ विचारक विनायक दामोदर सावरकर से संबंधित तथ्यों को लेकर कक्षा दसवीं की सामान्य विज्ञान की पुस्तक में संशोधन करने पर सरकार को घेरा था, जबकि इस बदलाव को गहलोत सरकार ने शिक्षा विशेषज्ञों की अनुशंसा के आधार पर लिया गया निर्णय करार दिया था.

ऐसा ही विवाद महाराणा प्रताप से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर भी हुआ. देवनानी का कहना था कि कांग्रेस सरकार पाठ्यक्रमों में बदलाव के बहाने देश के महापुरुषों का अपमान कर रही है. इस सरकार ने मुगल आक्रांता अकबर को महान बताते हुए महाराणा प्रताप के शौर्य पर प्रश्नचिन्ह लगाया एवं तुष्टिकरण की राजनीति के कारण महाराणा की महानता को स्वीकार करने से भी बचते नजर आये. 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जनसमस्याओं और जनहित के मूल कार्यों पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि रंग और नामों के बदलवा से कोई बड़ा सियासी फायदा मिलना होता तो विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी को हार नहीं देखनी पड़ती!

टॅग्स :राजस्थानभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेसअशोक गहलोतवसुंधरा राजे
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