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राजस्थान के भाजपा विधायक भेजे गए जेल, पत्नी को पांचवी कक्षा की फर्जी मार्कशीट पर लड़ाया था पंचायत चुनाव

By विनीत कुमार | Updated: July 13, 2021 16:05 IST

राजस्थान के भाजपा विधायक अमृत लाल मीणा की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने उन्हें 23 जुलाई तक हिरासत में भेज दिया है। भाजपा विधायक ने सोमवार को कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया था।

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ठळक मुद्देबीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा की जमानत अर्जी खारिज, भेजे गए जेलपत्नी की फर्जी मार्कशीट बनाकर पंचायत चुनाव लड़ाने का आरोप, 2015 का मामलाकांग्रेस सरकार अब पंचायत चुनाव के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के नियम को खत्म कर चुकी है

जयपुर: पत्नी की फर्जी मार्कशीट बनाकर उन्हें 2015 के पंचायत चुनाव में लड़ाने के आरोप में राजस्थान के उदयपुर जिले के सलूम्बर से भाजपा विधायक अमृत लाल मीणा को कोर्ट ने 23 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इससे पहले मीणा ने जयपुर में कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया।

मीणा ने अपनी पत्नी शांता देवी को सेमारी ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ाने के लिए उनके डॉक्यूमेंट्स पर बतौर गार्जियन अपने हस्ताक्षर भी किए थे। एक अधिकारी के अनुसार शांता देवी की पांचवीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत की गई थी। इसके बाद शांता देवी के खिलाफ भी चार्जशीट दायर हुई थी। शांता देवी अभी जमानत पर हैं।

सारदा के डीएसपी डीएस चुंदावत के अनुसार भाजपा विधायक ने सोमवार को कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया था। उनकी अंतरिम जमानत खारिज कर दी गई और इसके बाद उन्हें 23 जुलाई तक के लिए जेल भेज दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने आत्मसमर्पण के दिए थे निर्देश

इससे पहले मीणा की अंतरिम जमानत हाई कोर्ट से भी खारिज हो गई थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर उन्हें तीन हफ्ते के अंदर सारदा कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए थे।

दरअसल शांता देवी की प्रतिद्वंद्वी सुगना देवी ने 2015 सेमारी पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ नामांकन के दौरान फर्जी मार्कशीट के इस्तेमाल की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस के अनुसार ये मार्कशीट अजमेर जिले के नसीराबाद के एक स्कूल की थी।

सीआईडी की जांच में फर्जी निकली मार्टशीट

इस मामले की जांच सीआईडी को सौंपी गई थी। इसमें ये बात सामने आई कि मार्कशीट फर्जी है और शांता देवी पांचवीं क्लास पास नहीं हैं। बता दें कि भाजपा के कार्यकाल में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को लागू किया गया था। उस समय वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं।  बदले हुए नियमों के अनुसार जिला पंचायत चुनावों के लिए जहां उम्मीदवार का दसवीं पास होना जरूरी था तो वहीं सरपंच चुनाव के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का आठवीं और पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों का पांचवी कक्षा तक पढ़ा-लिखा होना अनिवार्य था। हालांकि, 2018 में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने इस फैसले को पलटते हुए पुराने नियमों को लागू कर दिया। 

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