राजस्थान चुनावः पिछड़ा वर्ग पर सभी की नजर, लेकिन सामान्य वर्ग को मनाने की लगी होड़?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 1, 2018 01:19 PM2018-11-01T13:19:59+5:302018-11-01T13:19:59+5:30
आजादी के बाद यहां सामान्य वर्ग के लिए एकाधिक सीटें थी, लेकिन 70 के दशक में केवल एक जनरल सीट रह गई- बांसवाड़ा विधानसभा। पहली विस से लेकर ताउम्र राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी बांसवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़ते और जीतते रहे।
देश के बड़े-बड़े नेता चुनाव के मद्देनजर एससी-एसटी वर्ग को मनाने में लगे हैं, वहीं राजस्थान में एक क्षेत्र ऐसा है जहां सामान्य वर्ग को मनाने की होड़ लगी है। दक्षिण राजस्थान के वागड़ क्षेत्र के एससी-एसटी वर्ग के नेता सामान्य वर्ग को इसलिए मनाना चाहते हैं कि सामान्य वर्ग के वोट विधानसभा चुनाव में इनके नतीजे प्रभावित कर सकते हैं। दरअसल, वागड़ क्षेत्र में प्रमुखता से दो जिले आते हैं- बांसवाड़ा और डूंगरपुर। खास बात यह है कि इन दोनों जिलों की सभी सीटें सुरक्षित हैं, इसलिए इन जिलों में सामान्य वर्ग केवल मतदाता है। सामान्य वर्ग से कोई उम्मीदवार यहां विस चुनाव नहीं लड़ सकता है।
बांसवाड़ा विधानसभा सीट
आजादी के बाद यहां सामान्य वर्ग के लिए एकाधिक सीटें थी, लेकिन 70 के दशक में केवल एक जनरल सीट रह गई- बांसवाड़ा विधानसभा। पहली विस से लेकर ताउम्र राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी बांसवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़ते और जीतते रहे। उनके गुजरने के बाद यहां से भाजपा के मंत्री भवानी जोशी और कांग्रेस से रमेश पंड्या विस चुनाव जीते, लेकिन बाद में यह सीट भी जनरल नहीं रही।
वागड़ क्षेत्र रहा कांग्रेस का गढ़
वागड़ क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस वक्त वागड़ की तमाम नौ सीटें सुरक्षित हैं, जिनमें से पहली बार भाजपा ने 2013 के विस चुनाव में आठ सीटों पर जीत दर्ज करवा कर शानदार कामयाबी पाई थी। कांग्रेस के खाते में केवल एक सीट- महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, बागीदौरा गई थी। क्योंकि यहां भाजपा ने कई सीटें मामुली वोटों के अंतर से जीती थीं, इसलिए इस बार जहां कांग्रेस के सामने अपने पुराने गढ़ को फिर से हांसिल करने की चुनौती है, वहीं भाजपा के सामने 2013 दोहराने की चुनौती है। इसीलिए इन विस क्षेत्रों में हार-जीत की गणित सामान्य वर्ग के मतदाताओं पर निर्भर है। देखना दिलचस्प होगा कि वागड़ में कांग्रेस फिर से अपना कब्जा जमा पाती है या भाजपा अपनी सीटें बचा ले जाती है।
पिछले चुनाव के आंकड़े
वागड़ के डूंगरपुर विस से भाजपा के देवेन्द्र कटारा 3845 वोटों से, आसपुर से गोपीचन्द मीणा 10504 वोटों से, सागवाड़ा से अनिता कटारा 640 वोट से, चैरासी से सुशील कटारा 20313 वोट से, घाटोल से नवनीत लाल निनामा 27041 वोट से, गढ़ी से जीतमल खांट 24450 वोट से, बांसवाड़ा से धनसिंह रावत 30061 वोट से और कुशलगढ़ से भीमाभाई 708 वोटों से चुनाव जीते थे, जबकि कांग्रेस के महेन्द्रजीत सिंह मालवीया 14325 वोट से जीते थे। ये सीटें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी सियासी जंग है, इसलिए प्रादेशिक सत्ता पाने के लिए भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए यहां से अधिकतम सीटें प्राप्त करना प्राथमिकता है।