राजस्थान चुनावः रिश्तेदार ही जिताऊ हैं उम्मीदवार, फिर भाई-भतीजावाद से कैसे मुक्त होगी BJP?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: November 7, 2018 06:08 IST2018-11-07T06:08:02+5:302018-11-07T06:08:02+5:30

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री नंदलाल मीणा दक्षिण राजस्थान के प्रभावी भाजपा नेता हैं। यदि उम्र के आधार पर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है या फिर वे स्वयं चुनाव लड़ना नहीं चाहें तो जिताऊ उम्मीदवार उनके परिवार से ही मिलेगा, क्या ऐसे उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया जाएगा?

rajasthan assembly election: bjp winning candidates ticket distribution | राजस्थान चुनावः रिश्तेदार ही जिताऊ हैं उम्मीदवार, फिर भाई-भतीजावाद से कैसे मुक्त होगी BJP?

राजस्थान चुनावः रिश्तेदार ही जिताऊ हैं उम्मीदवार, फिर भाई-भतीजावाद से कैसे मुक्त होगी BJP?

राजस्थान में भाजपा, उम्मीदवारों के चयन को लेकर ही उलझी हुई है, क्योंकि उसकी वंशवाद और भाई-भतीजावाद विरोधी नीति पर ही प्रश्नचिन्ह लगा है? कई वरिष्ठ एमएलए के टिकट कटने हैं और उनके किसी रिश्तेदार को भी टिकट नहीं देना है। एक ओर चयन के लिए केन्द्रीय भाजपा के अपने कानून-कायदे हैं तो दूसरी ओर जीतने लायक तगड़े उम्मीदवारों की तलाश भी जोरों पर है, हालांकि बड़ी परेशानी यह है कि केन्द्रीय भाजपा चाहती है कि भाई-भतीजावाद से मुक्त जिताऊ उम्मीदवार का चयन हो, लेकिन कैसे? रिश्तेदार ही जिताऊ उम्मीदवार हैं, तो भाई-भतीजावाद से कैसे मुक्त होगी भाजपा।

बगावत सुर हुए बुलंद

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री नंदलाल मीणा दक्षिण राजस्थान के प्रभावी भाजपा नेता हैं। यदि उम्र के आधार पर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है या फिर वे स्वयं चुनाव लड़ना नहीं चाहें तो जिताऊ उम्मीदवार उनके परिवार से ही मिलेगा, क्या ऐसे उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया जाएगा? एमपी में भाई-भतीजावाद पर थोड़ी-सी कैची क्या चली, बगावत के स्वर बुलंद होने लगे। उधर, कर्नाटक के उपचुनाव ने केन्द्रीय भाजपा को नई परेशानी में डाल दिया है। सवाल यह है कि जब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बीएस येद्दयुरप्पा के पुत्र बीवाई राघवेंद्र को कर्नाटक उपचुनाव में टिकट मिल सकता है और जीत सकते हैं तो राजस्थान में टिकट वितरण में रिश्तेदार कानून क्यों लागू किया जा रहा है?

दिग्गजों के कटेंगे टिकट

इधर, कुछ दिग्गजों के टिकट चयन समिति काट देगी तो कुछ को अपने ही लोग घेर रहे हैं। दक्षिण राजस्थान में प्रमुख भाजपा नेता और राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया की सियासी समस्याएं भी इसीलिए बढ़ती जा रही है। अलग-अलग मंचों के नाम से उनके अपने ही उनकी सियासी समीकरण बिगाड़ने की तैयारी में हैं। हो सकता है कि गुलाबचन्द कटारिया का विरोध करके चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवार जीत नहीं पाएं, परन्तु कटारिया की हार की भूमिका जरूर तैयार कर देंगे? संभावना यह है कि कटारिया के सामने कांग्रेस की प्रमुख नेता गिरिजा व्यास होंगी। ऐसी स्थिति में अगर भाजपा के ही पुराने समर्थक नेता कटारिया को चुनौती देंगे तो व्यास के लिए तो चुनाव आसान हो जाएगा।

भाजपा के कुछ नेताओं के सामने खड़ी है बड़ी मुसीबत

भाजपा के कुछ नेता इसीलिए परेशान हैं कि उन्हें तो टिकट मिलना नहीं है और रिश्तेदारों को भी टिकट नहीं मिला तो किसके लिए काम करेंगे? सियासी संकेत यही हैं कि केन्द्रीय भाजपा को या तो उम्मीदवारों के चयन के कानून-कायदे बदलने होंगे या फिर बगावत से निपटने की तैयारी करनी होगी। बड़ा सवाल यह है कि- क्या सत्ता विरोधी लहर के चलते भाजपा बगावत का नुकसान झेल पाएगी?

Web Title: rajasthan assembly election: bjp winning candidates ticket distribution

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