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कोटा में 100 बच्चों की मौत: मायावती ने नाम लिए बिना बोला प्रियंका पर हमला, गहलोत से कहा- चोरी व ऊपर से सीनाजोरी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 3, 2020 12:24 IST

राजस्थान के कोटा जिले के एक सरकारी अस्पताल में 100 बच्चों की मौत का मामला पिछले कुछ दिनों से मीडिया की सुर्खियों में है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए तीन ट्वीट किये हैं।

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ठळक मुद्देराजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में 100 बच्चों की मौत हो गयी।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल में चिकित्सा सामग्री में गम्भीर कमी है।

राजस्थान के कोटा स्थित एक सरकारी अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला किया है। मायावती ने ट्वीट करके बिना नाम लिये प्रियंका गांधी के यूपी के ग़रीब पीड़ित माताओं से मिलने को कोरी नाटकबाजी करार दिया।

मायावती ने ट्वीट किया, "यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की ‘‘माओं‘‘ से नहीं मिलती हैं तो यहाँ अभी तक किसी भी मामले में यू.पी. पीड़ितों के परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाजी ही मानी जायेगी, जिससे यू.पी. की जनता को सर्तक रहना है।" 

मायावती ने सीएम गहलोत पर अपनी कमियाँ छिपाकर 'चोरी व ऊपर से सीनाजोरी' करने का आरोप लगाया। मायावती ने गहलोत के बयानों को गैर-जिम्मेदाराना और असंवेदनशील बताया।

कोटा में बच्चों की मौत मामले पर मायावती के ट्वीट नीचे पढ़ें

1- राजस्थान की कांग्रेसी सरकार के सीएम  श्री गहलोत का, कोटा में  लगभग 100 मासूम बच्चों की हुई मौत पर, अपनी कमियों को छिपाने के लिए आयदिन चोरी व ऊपर से सीनाजोरी वाले अर्थात् गैर-जिम्मेवारान् व असंवेदनशील तथा अब राजनैतिक बयानबाजी करना, यह अति शर्मनाक व निन्दनीय

2- ऐसे में कांग्रेस का लगभग 100 माओं की कोख उजड़ जाने पर केवल अपनी नाराजगी जताने से काम नहीं चलेगा बल्कि इनको तुरन्त बर्खास्त करके वहाँ अपने सही व्यक्ति को सत्ता में बैठाना चाहिये। तो यह बेहतर होगा। वरना वहाँ और भी माओं की कोख उजड़ सकती है।  किन्तु उससे भी ज्यादा अति दुःखद है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर महिला महासचिव की इस मामले में चुप्पी साधे रखना। अच्छा होता कि वह यू.पी. की तरह उन गरीब पीड़ित माओं से भी जाकर मिलती, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही आदि के कारण उजड़ गई हैं।

3- यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की ‘‘माओं‘‘ से नहीं मिलती हैं तो यहाँ अभी तक किसी भी मामले में यू.पी. पीड़ितों के परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाजी ही मानी जायेगी, जिससे यू.पी. की जनता को सर्तक रहना है।

कोटा अस्पताल में बच्चों की मौत का विवरण

23 से 24 दिसंबर के बीच 48 घंटे की अवधि में सरकारी अस्पताल में दस बच्चों की मौत हो गई। अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर सुरेश दुलार ने कहा कि 30 दिसंबर को चार बच्चों की मौत हो गई, जबकि 31 दिसंबर को सभी की मृत्यु हो गई।अस्पताल प्रमुख ने कहा कि 2019 के अंतिम दो दिनों में जिन आठ बच्चों की मृत्यु हुई, वे समय से पहले प्रसव के थे, न कि डॉक्टरों की वजह से किसी बच्चे की मौत हुई है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने कहा कि उसकी टीम को अस्पताल परिसर के अंदर टूटी हुई खिड़कियां और गेट, सूअर घूमते हुए मिले और कर्मचारियों की भारी कमी है। "यह स्पष्ट है कि खिड़कियों के शीशे में कोई शीशा नहीं था, फाटक टूटे हुए थे और इसके परिणामस्वरूप भर्ती हुए बच्चे मौसम की वजह से भी ज्यादा बीमार पड़े थे।" 

राज्य के चिकित्सा शिक्षा सचिव के नेतृत्व में एक टीम ने जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए ऊष्मायन (इनक्यूबेशन यूनिट) इकाई में खामियां पाई थीं। सूत्रों ने कहा कि ऊष्मायन इकाइयां ठीक से काम नहीं कर पाईं और इसलिए अस्पताल ने एक की जगह पर दो शिशुओं को एक इनक्यूबेटर में रखा। हालांकि, राजस्थान सरकार की एक समिति ने इस सप्ताह के शुरू में अस्पताल के अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी और कहा कि शिशुओं को सही उपचार दिया जा रहा है। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा, "हम इस बात से दुखी हैं, हमारी जिम्मेदारी हर संभव ​​सहायता देने की है। कई बच्चों को गंभीर बीमारियों के साथ लाया गया था। भाजपा चाहे तो ऑडिट कर सकती है। हमने उन सभी बच्चों को बचा लिया, जिन्हें बचाने की स्थिति में थे।" 

कोटा अस्पताल में बच्चों की मौत पर बीजेपी का बयान

बीजेपी ने इस हफ्ते की शुरुआत में मौतों पर गौर करने के लिए एक पैनल का गठन किया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, जो कोटा से सांसद हैं, ने रविवार को शिशुओं की मृत्यु पर चिंता व्यक्त की थी और राज्य सरकार से संवेदनशीलता के साथ काम करने का आग्रह किया था। भाजपा पैनल ने कहा था कि दो से तीन बच्चे सिंगल बेड पर पाए गए थे और अस्पताल में पर्याप्त नर्स नहीं थीं।सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में प्रति 1000 जन्मों में 38 लोगों की मृत्यु दर, औसत शिशु मृत्यु दर काफी अधिक है।

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