राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर केन्द्र से जवाब तलब

By भाषा | Published: December 4, 2020 08:28 PM2020-12-04T20:28:50+5:302020-12-04T20:28:50+5:30

Rajaana's reply to the Center on the delay in sending the proposal to waive his death sentence to the President | राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर केन्द्र से जवाब तलब

राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर केन्द्र से जवाब तलब

नयी दिल्ली, चार दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर शुकवार को केन्द्र सरकार से जवाब मांगा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह बताए कि संबंधित प्राधिकारी संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को इस संबंध में कब प्रस्ताव भेजेंगे।

संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को कतिपय मामलों में माफी देने, सजा निलंबित करने या इसे कम करने का अधिकार प्राप्त है।

शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सात सितंबर को पंजाब के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा।

पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज से कहा कि वह यह बतायें कि यह प्रस्ताव अभी तक क्यों नहीं भेजा गया।

पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया कि , ‘‘भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 27 सितंबर, 2019 को पंजाब/गुजरात/ हरियाणा/ कर्नाटक/ एनसीटी दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था कि गुरू नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर कैदियों की सजा माफ करने और उन्हें रिहा करने का प्रस्ताव है। ’’

पीठ ने आदेश में आगे लिखा, ‘‘विशेषरूप से इस पत्र में निम्नलिखित कहा गया: ‘संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत आठ सिख कैदियों को विशेष माफी देने और कैद से रिहा करने का फैसला किया गया है। एक कैदी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की प्रकिया संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत की जायेगी। संबंधित राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रशासन गृह मंत्रालय के केन्द्र-राज्य डिवीजन से अनुरोध किया जाता है कि वे इस संबंध में जरूरी सभी कार्रवाई करें।’’

पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना को 31 अगस्त 1995 को पंजाब सचिवालय के बाहर हुये बम विस्फोट मामले में संलिप्त होने के जुर्म का दोषी पाया गया था। इस विस्फोट में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य व्यक्ति मारे गये थे।

शीर्ष अदालत राजोआना की मौत की सजा इस आधार पर उम्र कैद में तब्दील करने के लिये याचिका पर सुनवाई कर रहा था कि वह 25 साल से जेल में है।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान नटराज ने पीठ से कहा कि राजोआना ने इस मामले में शीर्ष अदालत में कोई अपील दायर नही की है।

पीठ ने नटराज से कहा, ‘‘लंबित अपील के बारे में आपकी तरफ से किसी को बहुत ज्यादा गलतफहमी है।’’

पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि इस न्यायालय में सह-अभियुक्त की अपील लंबित होने की वजह से यह प्रस्ताव नहीं भेजा गया। इस बात से इंकार नहीं है कि याचिकाकर्ता ने स्वयं अपनी सजा के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की है। इसलिए इस न्यायालय में लंबित किसी अन्य अपील के नतीजे का इंतजार करने का कोई औचित्य नहीं है।’’

पीठ ने आगे कहा, ‘‘निश्चित ही दूसरे सह-अभियुक्त की ओर से लंबित अपील का संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत विचार के लिये भेजे जाने वाले प्रस्ताव से कोई संबंध नहीं है।’’

नटराज ने कहा कि मौत की सजा माफ करने के बारे में निर्णय राष्ट्रपति को ही लेना है।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘फिर, न्यायालय में सह-अभियुक्त की याचिका लंबित होने का इससे क्या संबंध है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘सरकार ने मौत की सजा माफ करने का फैसला लिया और अब यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजना था।’’

नटराज ने जब यह कहा कि प्रस्ताव अभी तक राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा गया है तो पीठ ने कहा, ‘‘फिर, यह किनकी गलती है। आपके कहने का मतलब है कि उप सचिव (गृह मंत्रालय) ने किसी अधिकार के बगैर ही यह पत्र लिखा था? अत: हम आपसे पूछ रहे हैं कि अनुच्छेद 72 के अंतर्गत यह प्रस्ताव अभी तक राष्ट्रपति के पास क्यों नही भेजा गया?’’

पीठ ने कहा, ‘‘आपने पंजाब सरकार को पत्र लिखा था कि गुरू नानक जयंती पर इसकी मौत की सजा माफ कर दी जायेगी।’’

नटराज ने इस बारे में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिये पीठ से दो सप्ताह का वक्त देने का अनुरोध किया। पीठ ने इसकी अनुमति देते हुये इस मामले को आठ जनवरी को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।

विशेष अदालत ने जुलाई, 2007 में राजोआना को इस मामले में मौत की सजा सुनाई थी।

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Web Title: Rajaana's reply to the Center on the delay in sending the proposal to waive his death sentence to the President

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