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रेलवे लाइन परियोजना: उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में ''झुग्गियां'' तोड़े जाने पर यथास्थिति का आदेश दिया

By भाषा | Updated: August 24, 2021 20:02 IST

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उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में रेलवे लाइन परियोजना के लिए करीब 5,000 झुग्गियों को तोड़े जाने पर मंगलवार को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किए जाने के बाद यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने पीठ को बताया कि गुजरात उच्च न्यायालय के 19 अगस्त के आदेश के अनुपालन में अधिकारी मंगलवार को ही तोड़-फोड़ की कार्रवाई शुरू करने जा रहे थे। उच्च न्यायालय ने 10,000 से अधिक झुग्गिवासियों को हटाने का निर्देश दिया था। पीठ ने अपने आदेश में कहा, '' मामले को 25 अगस्त, 2021 को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें। 25 अगस्त, 2021 तक संबंधित अधिकारियों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है।'' गोंजाल्विस ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई 2014 का यथास्थिति का अपना अंतरिम आदेश रद्द कर दिया था और पश्चिम रेलवे को सूरत-उधना से लेकर जलगांव की तीसरी रेलवे लाइन परियोजना को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी। सूरत के 'उतरन से बेस्थन रेलवे झोपड़पट्टी विकास मंडल' द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अगर झुग्गी-बस्ती में रहने वालों को वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान नहीं की जाती है तो उन्हें ''अपूरणीय क्षति'' होगी जोकि रेलवे की जमीन पर रह रहे हैं। याचिका में कहा गया कि अगर उन्हें बेघर किया जाता है तो खास तौर से कोविड महामारी के दौरान उनकी स्थिति और अधिक दयनीय हो जाएगी। वकील सत्य मित्रा के माध्यम से दायर याचिका में इन 'झुग्गियों' के विध्वंस पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ दावा किया गया था कि झुग्गियों में रहने वाले लोगों को जरा सा भी मौका नहीं दिया गया और विभाग उन्हें 24 घंटे के भीतर जगह खाली करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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