राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मंच पर नहीं दिया जगह?, पूर्णिया में पीएम मोदी से गुफ्तगू, क्या एनडीए से हाथ मिलाएंगे सांसद पप्पू यादव
By एस पी सिन्हा | Updated: September 17, 2025 17:09 IST2025-09-17T17:08:47+5:302025-09-17T17:09:37+5:30
पीएम मोदी से मिलने के बाद से ही बिहार की सियासत में पप्पू यादव को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

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पूर्णियाः पूर्णिया में एनडीए की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक ही मंच पर सांसद पप्पू यादव का दिखना और जिस अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्कुरा कर बातचीत की, इसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। दरअसल, पीएम मोदी जब पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन करने वाले थे, तब मंच पर स्थानीय सांसद पप्पू यादव भी वहां मौजूद थे। इसी दौरान पप्पू यादव अपनी कुर्सी से उठकर पीएम मोदी के पास आते हैं और पीएम के काम में कुछ कहते हैं। इसके बाद पीएम मोदी खिलखिला कर हंसने लगते हैं। इसे पीएम मोदी के बगल में बैठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थोड़ा हैरान हो जाते हैं और दूसरी तरफ बैठे ललन सिंह की ओर देखने लगते हैं। मीडिया के कैमरों का पूरा फोकस दोनों पर शिफ्ट हो जाता है।
लेकिन पीएम मोदी से मिलने के बाद से ही बिहार की सियासत में पप्पू यादव को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। बता दें कि पूर्णिया में एनडीए के मंच पर पीएम मोदी सहित एनडीए के तमाम बड़े नेता मौजूद थे, तभी पप्पू यादव मंच पर पीएम के नजदीक पहुंचे तब प्रधानमंत्री और उनके बीच जब बातचीत हो रही थी।
इतना ही नहीं पप्पू यादव को जब मंच पर बोलने का मौका मिला तो उन्होंने पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की। पप्पू ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ईमानदार नेता बताया। मंच पर मौजूद सभी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, ललन सिंह, गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय की तारीफ करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
ऐसे में राजनीतिक हलके में सांसद को लेकर चर्चा का बाजार इस बात को लेकर गर्म है कि क्या पप्पू यादव के मन में कुछ पक रहा है क्या? सियासी गलियारों में चर्चा है कि पप्पू यादव का कांग्रेस पार्टी में इतना ज्यादा अपमान हुआ है कि अब वह पीएम मोदी और भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
लोगों का तो यह भी कहना है कि जो 2015 में जो कहानी पूरी नहीं हो सकी उसे 10 साल बाद 2025 में साकार होती नजर आ रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि पप्पू यादव पहली बार प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उनसे प्रभावित हो गए हों, इससे पहले भी उनके साथ ऐसा हो चुका है। साल 2015 में इसी वजह से उन्हें राजद अध्यक्ष लालू यादव ने 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
उस समय पप्पू यादव राजद के सांसद थे और पार्टी से नाराज चल रहे थे। बिहार चुनाव 2015 से पहले उन्होंने दिल्ली में पीएम मोदी से दो बार मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद पप्पू यादव ने पीएम मोदी को लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के समान दृढ़ इच्छाशक्ति वाला प्रधानमंत्री बताया था। लालू यादव इससे बहुत नाराज हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया।
वहीं भाजपा ने उनके आपराधिक बैकग्राउंड की वजह से तवज्जो नहीं दी थी। लेकिन लोगों को अब फिर से पप्पू यादव का पीएम मोदी के प्रति झुकाव नजर आ रहा है। दरअसल, ये अटकलें इसलिए भी लग रही हैं क्योंकि, पप्पू यादव सीमांचल क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं और इस बात को उन्होंने कई बार साबित किया है।
बीते लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट बिहार की तमाम संसदीय सीटों में सबसे हॉट सीट मानी जा रही थी। यहां निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव और राजद की बीमा भारती के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा था। नौबत यह थी कि तेजस्वी यादव ने इस सीट को प्रतिष्ठा को सीट बना लिया था। वहीं, एनडीए ने भी सीमांचल की इस प्रतिष्ठित सीट को अपने पकड़ में करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी थी।
लेकिन तमाम दांव-पेचों के बीच पूर्णिया की सीट पर पप्पू यादव ने जीत हासिल कर अपनी अलग पहचान बना ली थी और तभी से वो अधिक चर्चा में हैं। वहीं, कांग्रेस से नजदीकी तो दिखी, लेकिन राजद की वजह से उनका कांग्रेस में वैसा स्वागत नहीं हो पाया जिसकी उम्मीद उनको थी। इस बीच उन्होंने कांग्रेस और राजद से बेहतर संबंध बनाने की पूरी कोशिश की,
लेकिन अभी भी इंडिया गठबंधन में उनके लेकर संशय के हालात बने हुए हैं। उल्लेखनीय है कि पप्पू यादव कहने को कांग्रेस पार्टी में हैं, लेकिन तकनीकी तौर पर एक निर्दलीय सांसद हैं। लोकसभा चुनाव से लेकर मतदाता अधिकार यात्रा तक कांग्रेस पार्टी में उन्हें हमेशा अपमान ही सहना पड़ा है।
लेकिन इसके बाद भी वह खुद को कांग्रेसी ही बताते रहे हैं। मतदाता अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव के कारण पप्पू को राहुल गांधी के साथ गाड़ी से लेकर मंच तक कहीं भी जगह नहीं मिली। दूसरी ओर पीएम मोदी के मंच में उनको ससम्मान कुर्सी दी गई। इतना ही नहीं उन्हें बोलने का अधिकार भी मिला।
यह किसी विपक्षी सांसद तौर पर कांग्रेस नेता के लिए बड़ी बात है, क्योंकि इससे पहले सासाराम में पीएम मोदी के मंच पर कांग्रेस के स्थानीय सांसद को बोलने नहीं दिया गया था। ऐसे में पप्पू यादव को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।