अध्यक्ष पद छोड़ने की जिद पर अड़े राहुल गांधी को मनाने के लिए चौतरफा दबाव तेज होता जा रहा है. राहुल पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहे इस आशय का प्रस्ताव पार्टी की तमाम प्रदेश इकाईयों से आने शुरु हो गये है. पार्टी के अंदर ही नहीं पार्टी के बाहर भी अन्य सहयोगी दल भी राहुल को यह समझाने में लगे है कि कांग्रेस पार्टी को संक़ट के इस समय में उनके नेतृत्व की जरूरत है नतीजा उन्हें अपना फैसला बदलकर अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए. डीएमके नेता एम.के. स्टालिन ने राहुल से इस बावत फोन पर बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की कि इस नाजुक घड़ी में अपने इस्तीफे का फैसला बदल दें. वहीं दूसरी ओर आरजेडी के नेता लालू यादव ने जेल से ही ट्विट कर राहुल को सलाह दी कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना कांग्रेस के लिए आत्मघाती होगा और वे भाजपा के जाल में फंस जाएगें. इसलिए इस्तीफे का विचार छोड़ दे.
पार्टी के अंदर और बाहर से इन कोशिशों के बीच आज सुबह पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने राहुल से लंबी बातचीत की. इस बातचीत के दौरान पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद थे. सूत्र बताते है कि राहुल ने साफ किया है कि वे अध्यक्ष पद छोड़ेगें लेकिन पार्टी के विचारधारा के लिए लगातार संघर्ष करते रहेगें. प्राप्त संकेतों के अनुसार राहुल कांग्रेस संसदीय दल के नेता हो सकते है.
प्रियंका गांधी की इस मुलाकात के दौरान राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट राहुल से मिलने पहुंचे. इसी बीच प्रियंका से ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने भी मुलाकात की और उन्हें समझाने की कोशिश की कि यह समय इस्तीफा देने का नहीं, इस्तीफा लेने का समय है. राहुलको चाहिए कि वे उन तमाम लोगों से इस्तीफा ले जो अपनी जिम्मेदारी पर खरे नहीं उतरे.
राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा कांग्रेस की सरकारों को गिराने में जुट गयी
राहुल ने तीनों नेताओं से विचार-विमर्श किया, यह विचार-विमर्श राजस्थान में पैदा हो रहे राजनीतिक संकट को लेकर था. हालांकि राहुल ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि उनका अगला कदम क्या होगा. सूत्र बताते है कि राहुल राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सफाये को लेकर खासे नाराज़ है. उन्होंने जिस उम्मीद के साथ अशोक गहलोत और कमलनाथ को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी उसे गहरा धक्का लगा है. सचिन से मुलाकात के बाद राहुल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से भी मुलाकात की. माना जा रहा है कि राजस्थान में भाजपा की सरकार गिराने की कोशिशों को देखते हुए नेतृत्व परिवर्तन जैसे विकल्प पर भी पार्टी में विचार चल रहा है. हालांकि अशोक गहलोत राहुल को यह समझाने में जुटे है कि उन्होंने चुनाव के दौरान प्रचार में कोई कमी नहीं की और जो आरोप उन पर लग रहे है वह पार्टी की आतंरिक राजनीति के कारण है.
गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा कांग्रेस की सरकारों को गिराने में जुट गयी है और वह विधायकों की खरीद फरोख्त करना चाहती है. वहीं कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की मिली जुली सरकार को गिराने की पुरजोर कोशिश हो रही है. इस संकट से निपटने के लिए गुलाम नबी आजाद को कर्नाटक रवाना कर दिया ताकि सभी विधायकों को एकजुट रखा जा सके.
इन तमाम घटनाक्रम के बावजूद राहुल फिलहाल अध्यक्ष पद छोड़ने को लेकर अपने फैसले में किसी भी बदलाव को तैयार नहीं है उन्होंने पार्टी नेताओं सेकहा है कि एक महीने में वे नये नेता का चयन कर लें ताकि वे अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से मुक्त हो सके.