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राफेल डील: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया आदेश, 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौंपे सौदे से जुड़ी डीटेल

By स्वाति सिंह | Updated: October 31, 2018 15:25 IST

न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय ऑफसेट साझेदार को सौदे में शामिल करने के संबंध में पूरी जानकारी उसे और याचिका दायर करने वालों को दी जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (31 अक्टूबर  ) को केंद को फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत की जानकारी उसे 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौपनें को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ‘‘रणनीतिक और गोपनीय’’ सूचनाओं को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में सरकार को कुछ छूट भी दी। सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि कीमत से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद के साथ भी साझा नहीं किया गया है।

न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सौदे के फैसले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, सिर्फ गोपनीय और सामरिक महत्व की सूचनाएं साझा नहीं करे।

पीठ ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर ये सूचनाएं याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे। याचिकाकर्ता इसपर सात दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं।

न्यायालय ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 नवंबर तय की है।

अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल की मौखिक दलील के बाद न्यायालय से कहा, ‘‘यदि कीमत से जुड़ी जानकारी विशिष्ट सूचना है और आप उसे हमारे साथ साझा नहीं कर रहे हैं तो, कृपया एक हलफनामा दायर कर हमसे यह बात कहें।’’ 

पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों अरूण शौरी तथा यशवंत सिन्हा की याचिका सहित चार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने अपनी याचिका में राफेल सौदे की जांच अदालत की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग की है।

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘उसके लिए आपको इंतजार करना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले सीबीआई को अपना घर संभाल लेने दें।’’ 

वेणुगोपाल ने विमानों की कीमत पर सूचनाएं साझा करने को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसकी कीमत संसद को भी नहीं बतायी गई।

उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र ने न्यायालय में जो दस्तावेज दिए हैं वे सभी सरकारी गोपनीयता कानून के तहत आते हैं।

न्यायमूर्ति गोगोई, न्यायमूर्ति यू. यू. ललित और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने कहा कि वैसी सूचनाएं जो सार्वजनिक पटल पर लायी जा सकती हैं उन्हें याचिका दायर करने वाले के साथ साझा किया जाना चाहिए।

अपने आदेश में पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी याचिकाकर्ता ने राफेल विमानों की उपयुक्तता, उनके कलपुर्जों और भारतीय वायुसेना में उनके उपयोगों पर सवाल नहीं किया है।

पीठ ने कहा, सवाल निर्णय लेने की प्रक्रिया और जो खरीद हुई है उसकी कीमत पर उठाए गए हैं।

पीठ ने यह रेखांकित किया कि 10 अक्टूबर के उसके आदेश के बाद सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के संबंध में जिस प्रक्रिया का पालन किया गया है, उसकी जानकारी न्यायालय को सौंपी है।

उसने कहा कि इस स्तर पर न्यायालय उसे सौंपे गए दस्तावेजों पर कोई विचार नहीं रखना चाहता।

न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय ऑफसेट साझेदार को सौदे में शामिल करने के संबंध में पूरी जानकारी उसे और याचिका दायर करने वालों को दी जाए।

आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह की ओर से पेश वकील ने जब पीठ से कहा कि उन्होंने भी इस संबंध में याचिका दायर की है, न्यायालय ने पूछा ‘‘इसमें उनका क्या हित है? हमें इतनी याचिकाओं पर विचार करने की जरूरत नहीं है।’’ 

सुनवाई के दौरान शौरी अदालत कक्ष में उपस्थित थे।

(भाषा इनपुट के साथ )

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