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देशी-विदेशी फिल्में तो खूब बनीं, लेकिन संरक्षण के अभाव में राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री ही सवालों के घेरे में?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: August 12, 2019 18:42 IST

राजस्थान में गाइड, बाजीराव् मस्तानी, बजरंगी भाईजान, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, तमिल फिल्म “आई”, ये जवानी है दीवानी, कन्नड़ फिल्म मंगरू माले, दिल्ली 6, रंग दे बसंती, दी बेस्ट एक्सॉटिक मैरीगोल्ड होटल, दी दार्जलिंग लिमिटेड, द डार्क नाईट राईज, आक्टोपसी, द फाल, हौली स्मोक!, वन नाईट विद द किंग, द सेकंड बेस्ट एक्सोटिक मैरीगोल्ड होटल, सेंटर फ्रेश, क्लोर्मिंट आईस, मारुति सर्विस स्टेशन, सियाराम, फेविकोल जैसी अनेक फिल्मों का फिल्मांकन हुआ है.

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ठळक मुद्देराजस्थान की धरती पर देशी-विदेशी फिल्मों का तो खूब फिल्मांकन हुआ, लेकिन संरक्षण के अभाव में राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री ही सवालों के घेरे में है.राजस्थान से फिल्मों का बहुत पुराना और आकर्षक रिश्ता रहा है. शुरूआत में यहां जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे बड़े शहरों में फिल्मों की शूटिंग होती रही है. 

राजस्थान की धरती पर देशी-विदेशी फिल्मों का तो खूब फिल्मांकन हुआ, लेकिन संरक्षण के अभाव में राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री ही सवालों के घेरे में है. राजस्थान से फिल्मों का बहुत पुराना और आकर्षक रिश्ता रहा है. शुरूआत में यहां जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे बड़े शहरों में फिल्मों की शूटिंग होती रही है. 

गाइड, मेरा साया, यादगार, राजा जानी जैसी अनेक पुरानी फिल्में हैं, जिनकी शूटिंग राजस्थान में हुई. पहले राजस्थान के छोटे शहरों में फिल्मों की शूटिंग के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं थी, लिहाजा तब ऐसे शहरों में शूटिंग नहीं होती थी, लेकिन अब बढ़ते साधन-सुविधाओं ने छोटे शहरों की ओर भी फिल्म निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि फिल्म की लागत आधे से भी कम हो जाती है!

राजस्थान में गाइड, बाजीराव् मस्तानी, बजरंगी भाईजान, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, तमिल फिल्म “आई”, ये जवानी है दीवानी, कन्नड़ फिल्म मंगरू माले, दिल्ली 6, रंग दे बसंती, दी बेस्ट एक्सॉटिक मैरीगोल्ड होटल, दी दार्जलिंग लिमिटेड, द डार्क नाईट राईज, आक्टोपसी, द फाल, हौली स्मोक!, वन नाईट विद द किंग, द सेकंड बेस्ट एक्सोटिक मैरीगोल्ड होटल, सेंटर फ्रेश, क्लोर्मिंट आईस, मारुति सर्विस स्टेशन, सियाराम, फेविकोल जैसी अनेक फिल्मों का फिल्मांकन हुआ है.

यहां बांसवाड़ा, डूंगरपुर, पाली, चित्तौड़गढ़, बीकानेर, अलवर, कोटा, जैसलमेर, बूंदी, पुष्कर जैसे अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां शूटिंग करने पर फिल्म की लागत घटाई जा सकती है. राजस्थान में शूटिंग की जगहों की जानकारी प्रदेश सरकार की वेब साइट पर उपलब्ध है।

इधर, प्रदेश के कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला का कहना है कि राजस्थानी सीधे दिल में उतरने वाली भाषा है. प्रदेश की लोक संस्कृति, संगीत और वाद्य यंत्रों को महत्व देते हुए फिल्में बनाई जाए तो वे जनमानस पर गहरा असर छोड़ेगी. 

डॉ. कल्ला जयपुर में राजस्थानी फिल्म ‘म्हारो गोविन्द‘ के गीतों की लांचिंग के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे. उनका मानना है कि राजस्थानी भाषा का भविष्य बहुत अच्छा है, यह मान्यता प्राप्त कर लेगी, तो हिन्दी को और अधिक समृद्ध बनाएगी. 

डॉ. कल्ला का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के बजट में राजस्थानी फिल्मों के लिए बजट में वृद्धि की है. उनकी राजस्थानी फिल्मों को प्रोत्साहित करने और आगे बढ़ाने की मंशा है. 

डॉ. कल्ला का मानना है कि राजस्थानी भाषा और बोलियों का प्रयोग करते हुए ज्यादा-से-ज्यादा फिल्में बनाई जाएं जिससे विश्व की यह सबसे अनूठी भाषा और समृद्ध होगी.

उन्होंने फिल्म ‘म्हारो गोविन्द‘ के गीत-संगीत को कर्णप्रिय बताया और जयपुर के आराध्य गोविन्द देवजी पर आधारित इस फिल्म की सफलता के लिए पूरी टीम को अपनी शुभकामनाएं भी दीं. 

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मौके पर मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूक अफरीदी ने कहा कि फिल्म ‘म्हारो गोविन्द‘ कौमी एकता और सामाजिक समरसता को मजबूत करेगी. इस कार्यक्रम में गोविन्ददेवजी के महंत अंजन गोस्वामी, मानस गोस्वामी, उस्ताद अहमद हुसैन, उस्ताद मोहम्मद हुसैन, कवि व गीतकार अब्दुल जब्बार, फिल्म के निर्देशक मंजूर अली कुरैशी, संगीत निर्देशक संजस रायजादा और गौरव जैन, प्रोड्यूसर एनके मित्तल सहित कला-सिने प्रेमी एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे. 

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