'विद्युत आपूर्ति सेवाओें में गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक', राजस्थान CM गहलोत ने आमजन से की सहयोग की अपेक्षा
By धीरेंद्र जैन | Published: August 29, 2020 09:08 PM2020-08-29T21:08:28+5:302020-08-29T21:08:28+5:30
वितरण निगमों द्वारा किसानों को 6-7 घण्टे थ्री फेस बिजली तथा अन्य उपभोक्ताओं को 24ग्7 गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति की गई। यह व्यवस्था अभी भी अनवरत जारी है।उन्होंने कहा विभिन्न राजनैतिक पार्टीयों तथा अन्य संगठनों अथवा संघों द्वारा बिजली बिल माफी की मांग की जा रही है, जो व्यवहारिक नहीं है।
जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति एवं उपभोक्ता सेवायें जारी रखने में आमजन से सहयोग की अपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से लड़ाई में राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल और चिकित्सा सुविधाओं के प्रबंधन में कोई कमी नहीं छोड़ी है और आर्थिक संकट के दौर में भी अतिरिक्त वित्तीय भार वहन किया है। ऐसे में, विद्युत सेवाओं के निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति में उपभोक्ताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
बैठक में ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला ने बताया कि कोविड महामारी से उत्पन्न स्थितियों एवं लॉकडाउन के दौरान वितरण कम्पनियों ने सुदृढ़ विद्युत व्यवस्था बनाये रखी। वितरण निगमों द्वारा किसानों को 6-7 घण्टे थ्री फेस बिजली तथा अन्य उपभोक्ताओं को 24ग्7 गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति की गई। यह व्यवस्था अभी भी अनवरत जारी है। उन्होंने कहा विभिन्न राजनैतिक पार्टीयों तथा अन्य संगठनों अथवा संघों द्वारा बिजली बिल माफी की मांग की जा रही है, जो व्यवहारिक नहीं है। विद्युत विनियामक आयोग द्वारा जारी आदेशों के अन्तर्गत वर्तमान में प्रस्तावित विद्युत आपूर्ति की दरें और त्रैमासिक फ्यूल सरचार्ज लागू करना एक सतत् प्रक्रिया है।
ऐसे में राजनैतिक दलों को चाहिए कि उपभोक्ताओं के सामने सही बात रखें और उन्हें भ्रमित ना करें। उन्होंने बताया कि आयोग के फरवरी 2020 के आदेशानुसार संशोधित विद्युत दरों से भी कई वर्गों के उपभोक्ताओं, जैसे बीपीएल, लघु, घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपभोक्ताओं, को अछूता रखा गया है तथा स्थाई प्रभार में भी मामूली वृद्धि की है।ऊजा्र मंत्री ने कहा कि प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं की विषम आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुये किसानों के कृषि कनेक्शनों के मार्च से जून 2020 तक के बिलों का भुगतान स्थगित किया गया। इसी प्रकार 150 यूनिट प्रतिमाह तक उपभोग वाले घरेलू उपभोक्ताओं के बिल के भुगतान भी अपे्रल से जून 2020 तक स्थगित किये गये।
अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं के स्थाई प्रभार का भुगतान भी स्थगित किया गया। इसके फलस्वरूप 2019 करोड़ रूपये की राशि के बिलों के भुगतान स्थगित रहे, जिससे वितरण निगमों को कुल 122 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार उठाना पड़ा है।ऊर्जा मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में बिलों का भुगतान करने पर घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा 5 प्रतिशत एवं अन्य उपभोक्ताओं द्वारा 1 प्रतिशत की छूट भी प्राप्त की गई है।
इसके लिए 123.81 करोड़ रूपये की राशि वितरण निगमों द्वारा वहन की गई है। गत वर्षों में विद्युत कम्पनियों द्वारा लिए गए ऋण एवं उसके ब्याज के भुगतान के कारण वितरण निगमों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब चल रही है। इसके चलते इन निगमों का वार्षिक घाटा 9 हजार करोड़ रूपये से अधिक हो गया है। इसके बावजूद भी कोविड महामारी के दौरान राजस्व की कम प्राप्ति के बावजूद बिजली आपूर्ति राज्य सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई।