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पंजाब के मंत्रिपरिषद का विस्तार, 15 नए मंत्री शामिल, अमरिंदर के पांच करीबियों को जगह नहीं

By भाषा | Updated: September 26, 2021 22:35 IST

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चंडीगढ़, 26 सितंबर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने रविवार को राज्य मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार कर 15 कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया, जिसमें सात नए चेहरे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के पांच वफादार विधायकों को जगह नहीं दी गई है।

राज्य में पांच महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस कवायद से सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। मंत्रिपरिषद में सात नए चेहरों को जगह मिलने से इसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रणनीति के अनुरूप माना जा रहा है। कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने कहा कि यह कवायद युवा चेहरों को लाने और सामाजिक तथा क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए किया गया है।

मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के एक सप्ताह बाद मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया। इसमें रणदीप सिंह नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और गुरकीरत सिंह कोटली नए चेहरे हैं। राणा गुरजीत सिंह ने 2018 में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद वापसी की है। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सभी मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

सूत्रों के मुताबिक चार बार के विधायक नाभा के नाम पर अंतिम समय में मुहर लगी क्योंकि नए चेहरों की अंतिम सूची में कुलजीत सिंह नागरा का नाम तय माना जा रहा था। नागरा ने बाद में एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने मंत्रिपरिषद का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है।

अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में मंत्री रहे ब्रह्म मोहिंद्रा, मनप्रीत सिंह बादल, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, अरुणा चौधरी, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, रजिया सुल्ताना, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु को फिर से मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है।

प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू से लंबे समय तक टकराव के बाद अमरिंदर सिंह ने त्यागपत्र दे दिया था, जिसके बाद दलित समुदाय से आने वाले चन्नी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। राणा गुरजीत सिंह, मोहिंद्रा और सिंगला अमरिंदर सिंह के करीबी माने जाते हैं।

अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, साधु सिंह धर्मसोत, बलबीर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह कांगड़ और सुंदर शाम अरोड़ा को नए मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली।

मंत्रिपरिषद में नौ मंत्री मालवा, तीन दोआबा और छह माझा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दो उपमुख्यमंत्री माझा क्षेत्र से हैं। मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद अब सबकी निगाह विभागों के बंटवारे पर होगी।

पार्टी की प्रदेश इकाई के प्रमुख नवजोत सिद्धू के करीबी माने जाने वाले जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव हैं। पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान परगट ने अमरिंदर सिंह पर अधूरे वादों को लेकर निशाना साधा था। अमृतसर-पश्चिम से विधायक राज कुमार वेरका अनुसूचित जाति समुदाय से हैं।

युवा चेहरा अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग गिद्दड़बाहा से विधायक हैं और नवजोत सिद्धू के करीबी माने जाते हैं। रणदीप सिंह नाभा चार बार के विधायक हैं और वर्तमान में अमलोह निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटे पहले, बलबीर सिंह सिद्धू और गुरप्रीत सिंह कांगड़ ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन किया, जहां उन्होंने मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं करने के फैसले पर सवाल उठाया। बलबीर सिद्धू ने भरे गले से पूछा, ‘‘मेरा क्या कसूर है?’’ जबकि कांगड़ ने भी यही सवाल किया।

कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि जिन्हें मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है उन्हें सरकारी संस्थाओं और संगठन में स्थान दिया जाएगा। रावत ने कहा कि यह कवायद युवा चेहरों को लाने और सामाजिक तथा क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए किया गया है। शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से बात करते हुए रावत ने नए मंत्रियों को बधाई दी और चन्नी को अच्छी शुरुआत के लिए शुभकामनाएं दीं। यह पूछे जाने पर कि क्या अमरिंदर सिंह पार्टी से नाराज हैं, रावत ने कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है। अगर कुछ है तो उन्हें मनाया जाएगा और कोई रास्ता निकाला जाएगा।’’

उपमुख्यमंत्री बनाए गए सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने सोमवार को शपथ ली थी। पंजाब में मुख्यमंत्री समेत कुल 18 विधायक मंत्रिपरिषद में शामिल हो सकते हैं और अब एक पद भी रिक्त नहीं है।

इससे पहले, राज्य के कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने पार्टी की प्रदेश इकाई के प्रमुख सिद्धू को पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह को शामिल किए जाने के खिलाफ पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि वह ‘‘भ्रष्ट और दागी’’ हैं। नेताओं ने यह भी मांग की थी कि इसके बजाय दलित वर्ग के ‘बेदाग’ छवि के किसी नेता को मंत्री बनाया जा सकता है। पत्र की प्रति मुख्यमंत्री को भी भेजी गई।

राणा गुरजीत सिंह को रेत खनन अनुबंधों की नीलामी में अनियमितता के आरोपों पर विपक्ष की आलोचना के बाद 2018 में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उस समय गुरजीत सिंह के पास सिंचाई और बिजली विभाग थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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