पंजाब: किसानों ने लंबी में सरकारी अधिकारियों को बंधक बनाया, आधी रात को मान सरकार ने 12 सरकारी अधिकारियों को आजाद करवाया, जानें पूरा मामला
By भाषा | Updated: March 29, 2022 23:23 IST2022-03-29T23:21:11+5:302022-03-29T23:23:24+5:30
प्रदर्शनकारियों द्वारा अधिकारियों को मुक्त करने से इनकार करने पर पुलिस की मदद से उन्हें सोमवार देर रात छुड़ाया जा सका। बंधक बनाए गए अधिकारियों में एक नायब तहसीलदार और कुछ पटवारी शामिल थे।

किसानों ने भी मंगलवार को उप-तहसील कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और कुछ घंटों के लिये सड़क को जाम कर दिया।
चंडीगढ़ः फसल को पहुंची क्षति को लेकर राहत की मांग कर रहे किसानों के एक समूह ने मुक्तसर जिले के लंबी में एक उप-तहसील कार्यालय के अंदर कथित तौर पर 12 सरकारी अधिकारियों को कई घंटों तक बंधक बनाकर रखा।
एक अधिकारी के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों द्वारा अधिकारियों को मुक्त करने से इनकार करने पर पुलिस की मदद से उन्हें सोमवार देर रात छुड़ाया जा सका। बंधक बनाए गए अधिकारियों में एक नायब तहसीलदार और कुछ पटवारी शामिल थे। ये किसान पिंक बॉलवर्म प्रजाति के कीटों से कपास की फसल को हुए नुकसान को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे थे।
इस घटना के विरोध में प्रदेश भर के राजस्व अधिकारी मंगलवार को हड़ताल पर रहे। किसानों के समूह का समर्थन करने वाले संगठन भाकियू (एकता-उग्रहन) के एक नेता ने मंगलवार को दावा किया कि सात प्रदर्शनकारी घायल हो गए क्योंकि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया।
अधिकारियों ने इस आरोप से इनकार किया है। किसानों ने भी मंगलवार को उप-तहसील कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और कुछ घंटों के लिये सड़क को जाम कर दिया। पुलिस ने कहा कि एक कृषक संघ के बैनर तले 100 से अधिक किसानों के एक समूह ने सोमवार को लंबी में उप-तहसील के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी शाम को कार्यालय की इमारत में घुसे और अधिकारियों को आधी रात तक बंधक बनाए रखा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संदीप कुमार मलिक ने कहा कि 12 सरकारी अधिकारियों को बंधक बना लिया गया। एसएसपी ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और वहां के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट ने उन्हें मनाने की कोशिश की और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उच्च अधिकारियों के साथ बैठक का आश्वासन दिया।
मलिक ने बताया, “लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे और अधिकारियों को देर रात तक बंधक बनाए रखा।” उन्होंने कहा कि बंधक बनाए गए लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने पुलिस को उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने का निर्देश दिया। मलिक ने इन खबरों का खंडन किया कि पुलिस ने अधिकारियों को मुक्त करने के लिए किसानों के खिलाफ बल प्रयोग किया था। उन्होंने कहा, “हमने अधिकारियों को संयमित और शांतिपूर्ण तरीके से मुक्त कराया। कोई बल प्रयोग नहीं किया गया था।
अधिकारियों को मुक्त करने के लिए जाने से पहले, हमने उनसे (किसानों) कई बार अनुरोध किया कि वे धरना दे सकते हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों को अपना कर्तव्य निभाने पर बंधक नहीं बनाया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि बाद में अधिकारियों की लिखित शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई।
मलिक ने कहा कि आठ से नौ लोगों और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इस बीच, भाकियू (एकता-उग्रहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी ने दावा किया कि पुलिस ने सोमवार रात को जब उन्हें खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया तब सात किसान घायल हो गए। उन्होंने कहा, “घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।” भाषा प्रशांत सुभाष सुभाष