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'गांव बंद' आंदोलन में पड़ी दरार, पंजाब के किसानों ने की खत्म करने की घोषणा

By रामदीप मिश्रा | Updated: June 4, 2018 19:01 IST

भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख बीएस राजू ने सोमवार कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्वक जारी है।

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ठळक मुद्दे देश भर में एक जून से जारी 10 दिवसीय किसान आंदोलन के चौथे दिन मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर के थोक बाजार में सोमवार को सब्जियों की आवक घटकर आधी रह गई। किसान संगठन की ओर से कहा गया था कि जब तक बहुत ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती तब तक किसान गांव के बाहर नहीं जाएंगे। पिछले साल इसी महीने में मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों ने आंदोलन किया था, जिसमें पुलिस के गोली चलाने से छह किसानों की जान चली गई थी।

नई दिल्ली, 04 जूनः किसानों की हड़ताल यानी 'गांव बंद' का खासा असर नहीं देखा गया है, जिसके बाद सोमवार को तय समय सीमा से चार दिन पहले ही पंजाब के किसानों ने इसे खत्म करने का ऐलान कर दिया। एक जून से शुरू हुई किसानों की हड़ताल पंजाब सहित कई राज्यों में जारी है। हालांकि, इसका खासा असर मध्यप्रदेश में देखा गया है, जहां, सब्जियों के दामों में भारी उछाल आया है।  

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के किसानों ने 6 जून को अपनी हड़ताल खत्म करने की घोषणा की है। भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख बीएस राजू ने सोमवार कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्वक जारी है। किसानों ने कई स्थानों पर खुद ही फल-सब्जी बेचने के सैटअप तैयार किए हैं। किसान अपने उत्पाद को मंडी नहीं ले जा रहे हैं। हमने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया है।इधर, देश भर में एक जून से जारी 10 दिवसीय किसान आंदोलन के चौथे दिन मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर के थोक बाजार में सोमवार को सब्जियों की आवक घटकर आधी रह गई, नतीजतन इनके भावों में औसतन 20 फीसद का उछाल दर्ज किया गया। आम दिनों के मुकाबले मंडी में 50 फीसद माल ही आया। इससे टमाटर, भिंडी, करेला, हरी मिर्च और अन्य सब्जियों के दाम औसतन 20 फीसद ज्यादा बोले गये।

ये भी पढ़ें-हड़ताल: किसानों के धरना का आज दूसरा दिन, सप्लाई ठप होने से बढ़े सब्जियों के दाम

आपको बता दें, किसान संगठन की ओर से कहा गया था कि जब तक बहुत ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती तब तक किसान गांव के बाहर नहीं जाएंगे। इस दौरान किसानों से अपील की गई थी कि वे हड़ताल के दौरान फल, फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं और न ही वे शहरों से खरीदारी करें और न गांवों में बिक्री करें।

उनका कहना था कि पिछले लंबे वक्त से स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करवाने और किसानों की आमदनी को बेहतर करवाने के लिए सरकार से लगातार गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन उसने नहीं सुना। इसके बाद किसान इस तरह का आंदोलन करने के लिए मजबूर हुए।

ये भी पढ़ें-मध्य प्रदेश: किसान आंदोलन के बीच 6 जून को राहुल करेंगे रैली, ट्वीट करके दी जानकारी

उल्लेखनीय है कि पिछले साल इसी महीने में मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों ने आंदोलन किया था, जिसमें पुलिस के गोली चलाने से छह किसानों की जान चली गई थी। यह आंदोलन फसलों के दाम बढ़ाने की मांगों को लेकर किया गया था। लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें!

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