हड़ताल : किसानों के धरना का आज दूसरा दिन, सप्लाई ठप होने से बढ़े सब्जियों के दाम
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: June 2, 2018 08:52 AM2018-06-02T08:52:35+5:302018-06-02T13:07:29+5:30
Farmers Protest Day 2 LIVE Updates:केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आज दूसरा दिन है। पूरे देश के सात राज्यों में जारी इस हड़ताल में 130 संगठन शामिल हैं।
नई दिल्ली, 2 जून: केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आज दूसरा दिन है। पूरे देश के सात राज्यों में जारी इस हड़ताल में 130 संगठन शामिल हैं।
कहा जा रहा है कि आज भी कई जगहों पर प्रदर्शन के आसार हैं। खबर के मुताबिक हड़ताल के चलते पंजाब के भटिंडा में सब्जियों के मंडी तक ना पहुंचने से कीमतें बढ़ गई हैं। सब्जियों की कीमत में 20 से 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है।
- हरियाणा के सीएम मनोहरर लाल खट्टर ने कहा है कि बिना मतलब के हड़ताल की जा रही है। शहरों में दूध और सब्जी को रोककर कुछ लोग किसानों का ही नुक्सान कर रहे हैं।
-दिल्ली-मुंबई में टमाटर की कीमत दोगुने से ज्यादा हो गई है।
- हड़ताल के दूसरे दिन लुधियाना के किसानों ने सब्जियां सड़कों पर फेंकी और दूध भी बहाया है।
#WATCH: Haryana CM Manohar Lal Khattar speaks on farmers' strike, says, 'they don't have any issues, they are just focusing on unnecessary things, not selling produce will bring losses to farmers.' (01.06.2018) pic.twitter.com/CFY7dzgj2g
— ANI (@ANI) June 2, 2018
Farmers continue their protest for the second day as they observe 10-day 'Kisan Avkash'. Visuals from #Ludhianapic.twitter.com/jn4VXwBQTx
— ANI (@ANI) June 2, 2018
दिल्ली-मुंबई में टमाटर की कीमत दोगुने से ज्यादा
हड़ताल के पहले दिन किसानों के गुस्से की तस्वीर सामने आई थीं। शुक्रवार को इसका असर पंजाब में देखने को मिला है। यहां सूबे के फरीदकोट में किसानों ने सब्जी, दूध और फल जैसी चीजों को बाजार में नहीं भेजने के लिए प्रदर्शन किया। साथ ही साथ सड़क पर उतरकर विरोध जताया और कई किसानों ने अपनी सब्जियों और फलों को सड़क पर फैला दिया। किसानों की मांग है कि उनका कर्ज माफ किया जाए और स्वामीनाथन रिपोर्ट की रिफारिशें लागू की जाएं।
वहीं, किसानों का का कहना है कि मोदी ने भी किसानों के सुधार की बात कही, लेकिन उसने भी इसे चुनावी जुमला कहकर छोड़ दिया। उनका आरोप है कि किसी को भी उनकी चिंता नहीं है, इसीलिए ये आंदोलन हो रहा है।
बताया जा रहा है कि इसी तरह के हालात बने रहे तो लोगो को रोजमर्रा की चीजों को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। किसान नेताओं ने 1 से 10 जून तक अपने गांव को सील करने का निर्णय लिया है।
मालूम हो कि चंडीगढ़ में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों से जुड़े कई किसान नेता इकट्ठे हुए थे और एग्रीकल्चरल एक्टिविस्ट देवेंद्र शर्मा की अगुवाई में इस हड़ताल का ऐलान किया गया था। हड़ताल के दौरान किसान 1 जून से लेकर 10 जून तक गांव को पूरी तरह से सील करेंगे और किसी को भी गांव से बाहर सामान सप्लाई करने की परमिशन नहीं है।
किसान संगठनों की ओर से यह भी कहा गया है कि जब तक बहुत ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती तब तक किसान गांव के बाहर भी नहीं जाएंगे। इस दौरान किसानों से अपील की गई कि वे हड़ताल के दौरान फल, फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं, और न ही वे शहरों से खरीदी करें और न गांवों में बिक्री करें।
दरअसल, किसान नेताओं का कहना है कि पिछले लंबे वक्त से स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करवाने और किसानों की आमदनी को बेहतर करवाने के लिए सरकार से लगातार गुहार लगाते रहे हैं। किसान इस तरह का आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल इसी महीने में मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों ने आंदोलन किया था, जिसमें पुलिस के गोली चलाने से छह किसानों की जान चली गई थी। यह आंदोलन फसलों के दाम बढ़ाने की मांगों को लेकर किया गया था।