एनसीएलटी को अपीलीय अधिकरण के रूप में कार्य नहीं करने देने की घोषणा से संबंधित जनहित याचिका खारिज

By भाषा | Published: July 24, 2021 04:31 PM2021-07-24T16:31:09+5:302021-07-24T16:31:09+5:30

Public interest litigation dismissed regarding declaration not to allow NCLT to function as Appellate Tribunal | एनसीएलटी को अपीलीय अधिकरण के रूप में कार्य नहीं करने देने की घोषणा से संबंधित जनहित याचिका खारिज

एनसीएलटी को अपीलीय अधिकरण के रूप में कार्य नहीं करने देने की घोषणा से संबंधित जनहित याचिका खारिज

नयी दिल्ली, 24 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें यह घोषित करने का अनुरोध किया गया था कि राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) शीर्ष अदालत के फैसलों के संबंध में अपीलीय अधिकरण के रूप में कार्य नहीं कर सकता।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि याचिका साफ तौर पर विचारणीय नहीं है और अनुच्छेद 32 के तहत इसपर विचार करने की कोई वजह नहीं है।

पीठ ने कहा, “न्यायिक निर्णय लेने वाले अधिकरण के किसी आदेश को चुनौती के बिना संक्षेप में उठाए इस प्रश्न पर आदेश देना इस अदालत के लिए जरूरी नहीं है। वैसे भी पीड़ित पक्ष के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के तहत अपीलीय समाधान उपलब्ध हैं। याचिका खारिज की जाती है।”

शीर्ष अदालत अशोक सुराना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यह घोषणा करने का अनुरोध किया गया था कि एनसीएलटी इस अदालत के फैसलों के संबंध में अपीलीय अधिकरण के तौर पर काम नहीं कर सकता।

याचिका में यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित “कानून का शासन” बिना किसी शर्त के निचले प्राधिकारों के लिये बाध्यकारी है और इन्हें दरकिनार या खारिज नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया, “घोषित करें कि आन्वयिक पूर्व न्याय (कंस्ट्रक्टिव रेस जुडिकेटा) का नियम इस अदालत के फैसलों पर भी लागू होता है और यह एक मौलिक नियम है जो मुकदमे की अंतिम स्थिति सुनिश्चित करने में कानून के शासन को बनाए रखेगा।”

पूर्वन्याय, न्याय का एक सिद्धान्त है, जिसके अनुसार यदि किसी विषय पर अन्तिम निर्णय दिया जा चुका है (और जिसमें आगे अपील नहीं किया जा सकता) तो यह मामला फिर से उसी न्यायालय या किसी दूसरे न्यायालय में नहीं उठाया जा सकता।

आन्वयिक पूर्व न्याय के सिद्धांत के तहत यदि कोई पक्षकार अपने और विपक्षी पक्षकार के खिलाफ मामले में किसी दलील को पहले रख सकता था, तो उसे उसी विषय पर बाद की कार्यवाही में उसी पक्षकार के खिलाफ उस दलील को रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।

सुराना ने दलील दी कि एनसीएलटी ने शीर्ष अदालत के फैसलों की गलत व्याख्या की है और, इसलिए, अनुच्छेद 32 के तहत अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि वह दिवाला और शोधन अक्षमता संहिआ के तहत निर्णय करने वाले प्राधिकार के समक्ष किसी भी कार्यवाही में पक्षकार नहीं हैं।

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Web Title: Public interest litigation dismissed regarding declaration not to allow NCLT to function as Appellate Tribunal

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