सीएए के खिलाफ केरल विधानसभा में प्रस्तावः गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने बताया असंवैधानिक, जानिए पूरा मामला
By एएनआई | Published: January 2, 2020 01:22 PM2020-01-02T13:22:22+5:302020-01-02T13:22:22+5:30
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि विधानसभा में नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ जो प्रस्ताव पारित किया गया है। उसकी कानूनी और संवैधानिक तौर पर कोई मान्यता नहीं है।
केरल के उपराज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार (2 जनवरी) को कहा कि केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जो प्रस्ताव पारित किया गया है, उसकी कानूनी और संवैधानिक तौर पर कोई मान्यता नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक खान ने कहा "इस प्रस्ताव की संवैधानिक और कानून तौर पर कोई मान्यता नहीं है क्योंकि नागरिकता का विषय केंद्रीय सरकार का है। इसका कोई मतलब ही नहीं है।"
राज्यपाल ने कहा कि दक्षिणी राज्य विभाजन से अप्रभावित था और यहां कोई गैरकानूनी शरणार्थी नहीं है। राज्यपाल ने कन्नूर में हाल में सम्पन्न हुए ‘इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस’ की निंदा भी की जहां लोगों ने सीएए पर उनके बयान के मद्देनजर उनके खिलाफ नारेबाजी की थी।
खान ने कहा कि ‘हिस्ट्री कांग्रेस’ ने दावा किया था कि उसने राज्य सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं जिनमें केन्द्र के साथ सहयोग नहीं करने का सुझाव भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सुझाव ‘‘ पूरी तरह गैरकानूनी’’ और ‘‘आपराधिक सामग्री’’ वाले हैं। केरल विधानसभा ने मंगलवार को यह प्रस्ताव पारित किया था, ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य था।
केरल राज्य की विधानसभा ने मंगलवार (31 दिसंबर 2019) को इस प्रस्ताव को पारित किया था। इसके के जरिए राज्य सरकार नागरिकता संशोधन कानून को निष्क्रिय करना चाहती है।
नागिरता कानून के जरिए पड़ोसी देशों से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आए हिंदू, सिख, इसाई, पारसी और बौद्ध शरणाथियों को नागरिकता प्रदान की जाएगी। जब ये शरणार्थी 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आ चुके थे।
राज्य सरकार ने जब से इस प्रस्ताव को पारित किया है उसे केंद्र सरकार के विरोध का सामना कर पड़ रहा है। कल (1 जनवरी) को केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि संसद में बने कानून को लागू करना हर राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा कि राज्य सरकार ने प्रस्ताव पारित करके संविधान और संसद का अनादर किया है।