पैगंबर विवाद: शशि थरूर ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्लामोफोबिक घटनाओं पर बोलना ही होगा, उनकी खामोशी के दूसरे मायने भी निकाले जा रहे हैं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 12, 2022 11:00 PM2022-06-12T23:00:32+5:302022-06-12T23:09:30+5:30
पैगंबर पर विवादास्पद टिप्पणी से गरमाई देश की सियासत के बारे में बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने रविवार को कहा कि यही समय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं "अभद्र भाषा और इस्लामोफोबिक घटनाओं" के बारे में अपनी चुप्पी तोड़ें। इसके साथ ही थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री की खामोशी के कई अन्य तरह से व्याख्या हो रही है।
दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की निलंबित राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली भाजपा मीडिया सेल के प्रभारी नवीन जिंदल के द्वारा पैगंबर पर विवादास्पद टिप्पणी से गरमाई सियासत के घेरे में अब सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं।
पैगंबर पर विवादास्पद टिप्पणी पर देश और विदेशों में फैली नाराजगी के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से मांग की गई है इस विवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना मौन तोड़ें और सीधे तौर पर बात करके इस विवाद को शांत करने का प्रयास करें।
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने रविवार को कहा कि यही समय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं "अभद्र भाषा और इस्लामोफोबिक घटनाओं" के बारे में अपनी चुप्पी तोड़ें। इसके साथ ही थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री की खामोशी के कई अन्य तरह से व्याख्या हो रही है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बात करते हुए शशि थरूर ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि भारत सरकार ने जिस मेहनत के साथ इस्लामी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया, वो इस विवाद के कारण "गंभीर रूप से कमजोर" हो रहे हैं।
इसके साथ ही थरूर ने कहा, "मेरा मानना है कि पीएम मोदी के लिए यही सही समय है, जब वो देश में आम हो रही अभद्र भाषा और इस्लामोफोबिक घटनाओं के बारे में अपनी खामोशी तोड़ें क्योंकि उनकी चुप्पी को कुछ अलग तरह से देखा जा रहा है। लेकिन मुझे इस बात का यकीन है कि वह (मोदी) इस बात को अच्छे से समझ रहे हैं कि इस तरह की विवादास्पद बयानबाजी से देश का विकास बाधित होगा।”
शशि थरूर ने पीएम मोदी की खामोशी पर सवाल उठाने के साथ यह भी कहा कि भारत ही नहीं बल्कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए सामाजिक एकता और सद्भाव बेहद जरूरी पहलू है।
सांसद थरूर ने कहा, "पीएम को तो कम से कम 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नाम पर सार्वजनिक रूप से इस तरह के दुर्व्यवहार की निंदा करनी चाहिए।"
शशि थरूर ने देश में ईशनिंदा कानून की आवश्यकता पर चल रही बहस के बारे में कहा कि वह ऐसे कानूनों के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि विश्व के अन्य देशों में ईशनिंदा जैसे कई कानूनों का दुरुपयोग का लंबा इतिहास रहा है।
थरूर ने कहा, "ईशनिंदा कानून केवल कुछ लोगों को मुकदमेबाजी और भीड़ के दुराचरण को प्रोत्साहित करने का काम करता है। इस कानून के जरिये अमानवीय लोग कानून को अपने हाथ में लेते हैं। हमारे संविधान की धारा 295 ए इस तरह के दुर्व्यवहार से निपटने के लिए काफी पर्याप्त हैं।"
इस विवाद का भारत की कूटनीति और विदेश नीति पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात करते हुए पूर्व विदेश राज्य मंत्री थरूर ने ने कहा, "सरकार को बातचीत के जरिये इस विवाद के कारण पैदा होने वाले जोखिम की गंभीरता से कम किया जाना चाहिए क्योंकि मुस्लिम देशों की मीडिया हमारे देश में मुसलमानों के बढ़ते 'अत्याचार' के बारे में काफी कुछ दिखा रहा है।"