पैसे के बदले हिंदुत्व का प्रचार, राहुल, अखिलेश और मायावती को बदनाम करने के लिए तैयार हो गये मीडिया संस्थान: कोबरा पोस्ट

By खबरीलाल जनार्दन | Published: March 27, 2018 07:24 AM2018-03-27T07:24:03+5:302018-03-27T11:27:00+5:30

कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान आगामी विधानसभा चुनावों व साल 2019 के आम चुनावों में हिन्दुत्व के पक्ष में और विपक्ष के विरोध में पैसों के बदले खबरें प्लांट करने को तैयार हैं देश के प्रमुख मीडिया संस्थान।

Prominent Indian Media ready to run paid news in favor of Hindutva: Cobra Post | पैसे के बदले हिंदुत्व का प्रचार, राहुल, अखिलेश और मायावती को बदनाम करने के लिए तैयार हो गये मीडिया संस्थान: कोबरा पोस्ट

पैसे के बदले हिंदुत्व का प्रचार, राहुल, अखिलेश और मायावती को बदनाम करने के लिए तैयार हो गये मीडिया संस्थान: कोबरा पोस्ट

भारत के प्रमुख मीडिया संस्‍थान पैसे बदले हिन्दुत्व के पक्ष में और विपक्ष की छवि धूमिल करने वाली खबरें प्लांट करने के लिए तैयार हैं। एक तरफ जहां ब्रिटेन के खोजी रिपोर्ट में फेसबुक के डाटा से कैंब्रिज एनालिटिका के अमेरिकी चुनाव प्रभावित करने को लेकर तहलका मचा हुआ है, वहीं भारत में कई खोजी रिपोर्ट व स्ट‌िंग ऑपरेशन कर चुके कोबरा पोस्ट ने इस बार मीडिया संस्थानों का स्टिंग किया है। कोबरा पोस्ट ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने Operation 136 के बारे में बताया। इसके अनुसार वरिष्ठ पत्रकार पुष्प शर्मा ने पिछले कुछ दिनों प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया संस्‍थानों में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से मुलाकात की और हिन्दुत्व के पक्ष में खबरें प्लांट करने की बात की। इसके बदले उनसे पैसों का मोल-भाव किया। इसमें मी‌डिया संस्‍थानों के लोग ना केवल पेड न्यूज के लिए तैयार हो गए, बल्कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए सैकड़ों रास्ते भी बताए।

कोबरा पोस्ट के अनुसार इन पत्रकार पुष्प शर्मा देश के मी‌डिया संस्‍थानों के सामने ये प्रमुख एजेंडे रखे थे-

*पहले चरण में देशभर में हिन्दुत्व के अनुकूल माहौल बनाने के लिए खास धार्मिक प्रोग्राम चलाना।

*इसके बाद मुहिम को असरदार और सांप्रदायिक रंग में डुबोने के लिए विनय कटियार, उमा भारती, मोहन भागवत समेत उन नेताओं के भाषणों का जमकर प्रचार करना जो हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े हैं।

*चुनाव नजदीक आने पर राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं को पप्पू, बुआ, बबुआ आदि शब्दों का लगातार इस्तेमाल करना। और इनकी धवि धूमिल करने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करना।

* इस अभियान को अपने प्लेटफॉर्मों पर जगह देना। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इन खबरों का प्रमोशन करना।

* अध्यात्म और धार्मिक प्रवचनों की आड़ में हिंदुत्व को बढ़ावा देना।

* अपने मीडिया से ऐसा कंटेंट परोसना जो चुनाव को धार्मिक आधार पर प्रभावित करे।

* खबरों के बदले कैश की पेशकश।

ये मामले भारतीय दंड सं‌हिता (आईपीसी) में अपराध के अंतर्गत आते हैं। ये मामले मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 की रोकथाम, लोक अधिनियम 1951, चुनाव आयोग के चुनाव नियम 1961, कंपनी अधिनियम 1956, आयकर अधिनियम 1961, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 का आचरण व भारतीय संसद द्वारा साल 1978 में मीडिया की नियमितता के लिए स्‍थापित भारतीय प्रेस काउंसिल के नियम और पत्रकारिता आचरण नियमों का उल्लंघन करती हैं।

कोबरा पोस्ट के अनुसार जब मीडिया संस्‍थानों को उनके प्रतिनिधि ने ऊपर लिखे प्रस्तावों को रखा तो नये तरह का सच निकल कर सामने आया। उन्होंने पाया कि-

* संस्‍थानों के मालिकों, अधिकारियों का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की ओर झुकाव है। वे खुशी-खुशी इस अभियान का आत्मसात करने को तैयार हैं। 

* कुछ मीडिया संस्थान यह भी स्वीकार कर रहे हैं कि वह ऐसी कोई सामग्री अपने प्लेटफॉर्म से जारी नहीं करेंगे जो सरकार विरोधी हैं। क्योंकि उन्होंने पहले से ही सरकार से अनुबंध कर रखे हैं।

* कई संस्थान फटाफट राहुल गांधी की छवि धूमिल करने वाली सामग्री को परोसने को तैयार हो गए। उनके मुताबिक यह चलन में है। ऐसा करने में उन्हें किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं होगी। 

* यही नहीं, जब बात अंदर के असंतुष्ट नेताओं अरुण जेटली, मनोज सिन्हा, जयंत सिन्हा, मेनका गांधी, वरुण गांधी आदि की बात आई तो मीडिया संस्‍थान इनके खिलाफ भी स्टोरी चलाने को राजी हो गए।

* साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक संगठन (एनडीए) के हालिया असंतुष्ट दलों के प्रमुख नेताओं अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश राजभर, उपेन्द्र कुशवाह आदि के खिलाफ सामग्री परोसने को तैयार हो गए।

* मौका आने पर मीडिया संस्थानों ने आवश्यकतानुसार प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, कामिनी जयसवाल, इंदिरा जय सिंह आदि की छवि खराब करने वाली सामग्री को बढ़ावा देने को राजी हुए।

* यहां तक कि कुछ संस्थानों ने आंदोलनकारी किसानों को माओवादी के तौर पर स्‍थापित करने की कोशिश करने वाली खबरों के प्रकाशन पर सहमति दी।

कोबरा पोस्ट के अनुसार ये सारी बातें पत्रकार पुष्प शर्मा ने अपना नाम बदल कर श्रीमद् भगवद् गीता प्रचार समिति उज्जैन के प्रचारक आचार्य छत्रपाल अटल के तौर पर की। उन्होंने खुद को आईआईटी दिल्ली व आईआईएम बैंगलोर से पढ़ाई के बाद ऑस्ट्रेलिया चले जाने के बारे में कहा। उन्होंने मीडिया संस्‍थानों से कहा कि वे स्कॉटलैंड में एक गेमिंग कंपनी चलाते हैं और भारत में कुछ महीने आकर हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार करना चाहते हैं।

जबकि कुछ जगहों पर उन्होंने खुद का परिचय सरकार की सहयोगी ओम प्रकाश राजभर की सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी के तौर पर दिया। इस दौरान पुष्प पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की। उन्होंने मध्य प्रदेश इकाई का प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी बनाने के लिए अपने बेटे अरविंद से मिलाया। अरविंद ने यह पद देने के लिए पुष्प से 50000 रुपए भी लिए।     

इस दौरान इन प्रमुख संस्‍थानों ने पैसे के बदले आगामी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राज्‍सस्‍थान विधानसभा चुनावों व आगामी साल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पैसे के बदले हिन्दुत्व व भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) व आरएसएस के पक्ष में खबरें चलाने को तैयार हुए-

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अगर चलती ऐसी खबरें तो किनपर पड़ता प्रभाव

कोबरा पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार भारत में देश के 18 करोड़ से ज्यादा लोगों के घरों में टीवी है। इनमें करीब देश की 42 फीसदी जनता टीवी देखती है। जबकि 39 फीसदी लोग अखबार पढ़ते हैं। सबसे ज्यादा आज करीब 73 करोड़ लोग मोबाइल उपभोगता हो चुके हैं। इनमें करीब 4.2 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। जबकि देश की करीब 64 प्रतिशत लोग एफएम चैनल सुनते हैं। ऐसे में अगर ऊपर प्लांट की गईं खबरें चलाई जाती तो इनका प्रभाव निश्चित तौर पर कैंब्रिज एनालिटिका घपले से ज्यादा होता।

अब तक देश में क्या रहा है पेड न्यूज का इतिहास

यह पहला मौका नहीं था जब देश में पेड न्यूज के लिए भारतीय मीडिया संस्‍थान आगे आए। कोबरा पोस्ट की ही रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले अयोध्या राम मंदिर व बाबरी विध्वंस मामले में, साल 2002 के गुजरात दंगे मामले में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई), एडिटर्स गील्ड ऑफ इंडिया (ईसीआई) व पीयूसीएल के कई अध्ययनों में सांप्रदायिक व पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग किए जाने पर्याप्त सबूत और तथ्य सामने आए।

पेड न्यूज को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा, बाहुबली डीपी यादव की पत्नी और उत्तर प्रदेश से विधायक रही उमलेश यादव आदि तो दंडित हो चुकी हैं। साल 2012 के विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने पेड न्यूज संबंधित मामलों करीब 1200 मामले दर्ज किए थे।

अभी तक किसी भी समाचार संस्था ने खुद पर लगे आरोपों के बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है। 

(लोकमत न्यूज ने कोबरा पोस्ट के दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की है।)

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