‘‘असहाय’’ अभिभावकों का शोषण कर रहे निजी स्कूल, किताबें और यूनीफार्म चार गुना अधिक दाम पर बेचते हैं
By भाषा | Published: July 26, 2019 02:35 PM2019-07-26T14:35:32+5:302019-07-26T14:36:27+5:30
भाजपा के श्वेत मलिक ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुछ निजी उद्योगपतियों ने शिक्षा उद्योग को लाभ अर्जित करने वाला कारोबार बना लिया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल पहले अभिभावकों ने ‘‘डोनेशन’’ लेते हैं फिर स्कूल की इमारत के नाम पर शुल्क लिया जाता है और उसके बाद उन्हें स्कूल से ही किताबें और यूनीफार्म चार गुना अधिक दाम में खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है।
निजी स्कूलों में मनमानी फीस लिए जाने का मुद्दा उठाते हुए राज्यसभा में सदस्यों ने शुक्रवार को मांग की कि सरकार को एक कानून बना कर फीस का नियमन किया जाना चाहिए ताकि निजी शैक्षिक संस्थान ‘‘असहाय’’ अभिभावकों का शोषण न कर सकें।
भाजपा के श्वेत मलिक ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुछ निजी उद्योगपतियों ने शिक्षा उद्योग को लाभ अर्जित करने वाला कारोबार बना लिया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल पहले अभिभावकों ने ‘‘डोनेशन’’ लेते हैं फिर स्कूल की इमारत के नाम पर शुल्क लिया जाता है और उसके बाद उन्हें स्कूल से ही किताबें और यूनीफार्म चार गुना अधिक दाम में खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है।
उन्होंने कहा ‘‘बच्चे के अभिभावक अपने लिए घर नहीं बनवा पाते और एक ही स्कूल की एक से अधिक इमारतें खड़ी हो जाती हैं।’’ मलिक ने मांग की कि सरकार को एक कानून बना कर फीस का नियमन किया जाना चाहिए ताकि निजी शैक्षिक संस्थान असहाय अभिभावकों का शोषण न कर सकें।
सपा के सुरेन्द्र सिंह नागर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों की फीस में 150 फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि 2018 में निजी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए राज्य में एक कानून बनाया गया था लेकिन इसका कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने भी निजी स्कूलों की कथित मनमानी पर रोक के लिए सरकार से एक कानून बनाए जाने की मांग की। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।