प्रधानमंत्री ने विजय दिवस पर ‘स्‍वर्णिम विजय मशाल’ प्रज्‍ज्वलित की

By भाषा | Updated: December 16, 2020 20:04 IST2020-12-16T20:04:47+5:302020-12-16T20:04:47+5:30

Prime Minister lit 'Golden Victory Torch' on Victory Day | प्रधानमंत्री ने विजय दिवस पर ‘स्‍वर्णिम विजय मशाल’ प्रज्‍ज्वलित की

प्रधानमंत्री ने विजय दिवस पर ‘स्‍वर्णिम विजय मशाल’ प्रज्‍ज्वलित की

नयी दिल्ली, कोलकाता, ईटानगर, अहमदाबाद, जम्मू, 16 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरा होने के अवसर पर बुधवार को राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से ‘‘स्‍वर्णिम विजय मशालें’’ प्रज्‍ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया।

भारत में 16 दिसंबर विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में 1971 में भारत को जीत मिली थी और केवल 13 दिनों के युद्ध के बाद एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। वर्ष 1971 के युद्ध को सबसे छोटे युद्धों में गिना जाता है। इस युद्ध ने दक्षिण एशिया का भौगोलिक और राजनीतिक परिदृश्‍य बदल दिया था।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘विजय दिवस के मौके पर हम अपने सशस्त्र बलों के अदम्य साहस को याद करते हैं, जिसके फलस्वरूप 1971 के युद्ध में अपने देश को निर्णायक विजय हासिल हुई। इस विशेष दिन पर मुझे राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्जवलित करने का सम्मान मिला।’’

विजय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे।

मोदी ने राष्‍ट्रीय समर स्‍मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्‍योति से चार विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कीं और उन्‍हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्‍न भागों के लिए रवाना किया।

इन विजेताओं के गांवों के अलावा 1971 के युद्ध स्‍थलों की मिट्टी को नई दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक में लाया जाएगा।

‘‘स्वर्णिम विजय मशाल’’ के रवाना होने के साथ ही अब पूरे देश में 1971 के युद्ध की याद में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां पर पूर्व सैनिकों और वीर नारियों को सम्मानित किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक साल भर होने वाले समारोहों के दौरान सेना के बैंड का प्रदर्शन, सेमिनार, प्रदर्शनी, उपकरणों का प्रदर्शन, फिल्म समारोह, संगोष्ठी और रोमांचक गतिविधियों के आयोजन जैसे कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।

रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘आज विजय दिवस के अवसर मैं भारतीय सेना के शौर्य एवं पराक्रम की परम्परा को नमन करता हूं। मैं स्मरण करता हूं उन जांबाज सैनिकों की बहादुरी को जिन्होंने 1971 के युद्ध में एक नई शौर्यगाथा लिखी। उनका त्याग और बलिदान सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह देश उन्हें हमेशा याद रखेगा।’’

कोलकाता में सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कहा कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में प्राण न्योछावर करने वाले भारतीय सैनिकों और मुक्ति योद्धाओं की शहादत सैनिकों और नागरिकों की कई पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डॉ बी डी मिश्रा ने युवा पीढी को 1971 की जंग से सीख लेने का आह्वान किया।

विजय दिवस के अवसर पर राजीव गांधी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ई-सम्मेलन में शिरकत करते हुए राज्यपाल मिश्रा ने कहा कि भारत को मजबूत देश बनने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और नेतृत्व का प्रदर्शन करना होगा। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमें अपने सैन्य बलों को हमेशा तैयार रखना होगा।

उन्होंने सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए रक्षों बलों को दी गयी खुली छूट का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व द्वारा सेना को दी गयी खुली छूट के कारण ही युद्ध में सफलता मिली थी।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि 1971 का युद्ध भारतीय सेना की सबसे बड़ी विजय गाथा में से एक है। उन्होंने कहा कि सैन्य बलों और अरुणाचल प्रदेश के लेागों के बीच बहुत गर्मजोशी भरा संबंध है और राज्य ने समूचे राष्ट्र में नागरिक-सेना के बीच अच्छे संबंधों का उदाहरण प्रस्तुत किया है।

गुजरात की राजधानी गांधीनगर के पास स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय द्वारा विजय दिवस पर डिजिटल तरीके से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को बांग्लादेश के कुछ पूर्व सैन्यकर्मियों ने भी डिजिटल तरीके से संबोधित किया।

मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले बांग्लादेश के पूर्व सैन्यकर्मियों ने संकट के समय साथ देने के लिए भारत का शुक्रिया अदा किया।

बांग्लादेश के पूर्व सैन्यकर्मी लेफ्टिनेंट कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर ने कहा कि भारतीय सैनिकों को भी मुक्ति वाहिनी की भागीदारी को समझना चाहिए क्योंकि उन्होंने भी बांग्लादेश की आजादी में अपना योगदान दिया।

बांग्लादेश के एक और पूर्व सैन्यकर्मी कमोडोर अब्दुल वहीद चौधरी ने भारत को एक सच्चा नेता और शानदार पड़ोसी बताया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत शानदार पडोसी है। संकट के समय नेता नेतृत्व करता है। भारत ऐसा ही नेता है और उसने 1971 में यह साबित कर दिया।’’

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी शहादत देने वाले सैन्यकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। विजय दिवस पर अपने संदेश में सिन्हा ने कहा, ‘‘1971 के युद्ध में देश को निर्णायक जीत दिलाने के लिए अदभुत पराक्रम और शौर्य दिखाते हुए प्राण न्योछावर करने वाले सैनिकों को मैं सलाम करता हूं। ’’

सेना की उत्तरी कमान के प्रवक्ता ने बताया कि सेना ने जम्मू कश्मीर में विजय दिवस मनाया और 1971 की जंग में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में सैन्यकर्मी और पूर्व सैन्यकर्मियों ने उधमपुर में उत्तरी कमान के मुख्यालय में आयेाजित कार्यक्रम में शिरकत की।

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