राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हर महीने देते हैं इतना टैक्स, जानिए कितनी मिलती है सैलरी
By भाषा | Updated: June 29, 2021 07:57 IST2021-06-29T01:23:26+5:302021-06-29T07:57:17+5:30
राष्ट्रपति कोविंद रविवार की सुबह कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में अपने जन्म स्थान पहुंचे, जहां उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। (फोटो सोर्स- स्क्रीनशॉट)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि वह हर महीने 2.75 लाख रुपये का टैक्स (कर) देते हैं। कुछ समाचार चैनलों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने शुक्रवार को कानपुर देहात जिले के झीझंक में यह बात कही। कोविंद 25 जून को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से विशेष ट्रेन (प्रेजिडेंशियल ट्रेन) से कानपुर की यात्रा पर निकले थे।
ट्रेन झिंझक और कानपुर देहात के रूरा में रूकी, जहां राष्ट्रपति ने अपने स्कूल के दिनों के और सामाजिक सेवा के शुरुआती दिनों के अपने पुराने परिचितों के साथ मुलाकात की और बातचीत की थी। राष्ट्रपति ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ''यदि राष्ट्रपति देश के सबसे अधिक वेतन पाने वाले कर्मी हैं, तो वह कर भी देते हैं। मैं 2.75 लाख रुपये प्रति महीना कर भी देता हूं। लेकिन लोग केवल मेरे पांच लाख रुपये वेतन की चर्चा करते हैं।''
अपने पैतृक गांव पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गांव के एक सामान्य बच्चे के रूप में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होंगे। कानपुर देहात जिले में स्थित अपनी जन्मस्थली परौंख गांव में सभा को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, ''एक सामान्य बच्चे के रूप में मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने का सम्मान मिलेगा लेकिन, हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने इसे पूरा कर दिखाया।''
President Ram Nath #Kovind Tells How Much He Gets Paid Monthly and How Much Income #Tax Is Deducted
— Sandeep Seth (@sandipseth) June 28, 2021
'I get #salary of 5 lakhs per month, out of which 2,75,000 goes to tax, a teacher has more savings than us', said President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/B2V7X2CLro
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को भी श्रद्धांजलि दी और कहा, ‘‘आज मैं जहां भी पहुंचा हूं, उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी, इस क्षेत्र, आपके प्यार और आशीर्वाद को जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संस्कार बुजुर्गों को माता-पिता का सम्मान देने का है और आज, मुझे खुशी है कि हमारे परिवार में बड़ों को सम्मान देने की यह परंपरा अभी भी जारी है।’’