उत्तर प्रदेश की गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी
By भाषा | Published: February 9, 2020 04:17 PM2020-02-09T16:17:16+5:302020-02-09T16:17:16+5:30
आयोग के विधिक सलाहकार योगेश कुमार मिश्रा ने पीटीआई भाषा को बताया कि आठ साल बाद यह बैठक होने जा रही है, जिसमें पूरे राज्य से गौशाला संचालकों को आमंत्रित किया गया है।
उत्तर प्रदेश के गौ-सेवा आयोग ने प्रदेश की गौशालाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में आगामी 14 फरवरी़, 2020 को राजधानी लखनऊ में पूरे प्रदेश के गौपालकों की एक बैठक बुलाई है। आयोग के विधिक सलाहकार योगेश कुमार मिश्रा ने पीटीआई भाषा को बताया कि आठ साल बाद यह बैठक होने जा रही है, जिसमें पूरे राज्य से गौशाला संचालकों को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि पशुपालन निदेशालय के प्रेक्षागृह में होने वाली इस बैठक के लिए 68 गौशालाओं के संचालकों ने अभी तक अपनी स्वीकृति दी है।
इस बैठक में गौपालकों के समक्ष आ रही समस्याओं को सुना जाएगा और सरकार अपने स्तर पर इनके समाधान का रास्ता निकालेगी। मिश्रा ने बताया कि जिन गौशालाओं ने इस बैठक के लिए अपनी स्वीकृति दी है उनमें वाराणसी की कान्हा गौशाला, मिर्जापुर की डगमगपुर रामेश्वरम गौशाला, वाराणसी की भवती गौशाला, अमरोहा की वृंदावन गौशाला, कानपुर की भवती गौशाला शामिल हैं। प्रदेश में कुल 385 गौशालाएं पंजीकृत हैं। उन्होंने कहा कि इस बैठक में विभिन्न आदर्श गौशालाओं के संचालक अपने क्रियाकलापों से अवगत कराएंगे। जैसे नागपुर के देवलापार गौ अनुसंधान केंद्र का अकेले गोबर और गोमूत्र उत्पादों से वार्षिक टर्नओवर छह करोड़ रुपये से अधिक है।
मिश्रा ने बताया कि बैठक में गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह के साथ ही पशुधन मंत्री, पशुधन सचिव और पशुधन निदेशक भी शामिल होंगे। गो-सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह ने कहा कि प्रदेश में गौशाला संचालकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और इस बैठक का उद्देश्य उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना और समाधान निकालना है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं विकास में गौवंश का अत्यंत महत्व है। गौशाला संचालक अपनी गौशाला के विकास, स्वावलंबन की दिशा में प्रगति, गौवंश संरक्षण एवं संवर्धन के क्रियाकलापों जैसे पंचगव्य उत्पादों का विपणन, जैविक खेती, गोबर गैस प्लांट की स्थापना आदि से सरकार को अवगत करा सकते हैं।