आंदोलन कर रहे किसानों को बिजली इंजीनियरों ने दिया समर्थन

By भाषा | Published: December 3, 2020 02:26 PM2020-12-03T14:26:15+5:302020-12-03T14:26:15+5:30

Power engineers supported the agitating farmers | आंदोलन कर रहे किसानों को बिजली इंजीनियरों ने दिया समर्थन

आंदोलन कर रहे किसानों को बिजली इंजीनियरों ने दिया समर्थन

लखनऊ, तीन दिसंबर ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कृषि कानूनों और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।

फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर चल रहे आंदोलन में कृषि कानूनों की वापसी के साथ बिजली (संशोधन) विधेयक—2020 को वापस लेने की भी मांग की गयी है। फेडरेशन ने इन किसानों को समर्थन देने का फैसला किया है।’’

उन्होंने कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक का मसौदा जारी होते ही बिजली इंजीनियरों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। विधेयक में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली पर मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं दी जाए।

दुबे ने कहा, ‘‘हालांकि विधेयक में इस बात का प्रावधान है कि सरकार चाहे तो किसानों को सब्सिडी की रकम उनके खाते में डाल सकती है लेकिन इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘किसानों का मानना है कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 के जरिए बिजली का निजीकरण करने की योजना है, जिससे बिजली निजी घरानों के पास चली जाएगी। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं, लिहाजा बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी। फेडरेशन ने इसी आधार पर किसान आंदोलन का समर्थन करने का फैसला किया है।’’

दुबे ने कहा, ‘‘किसानों की आशंकाएं निराधार नहीं हैं। बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के लिए जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए हैं। ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी और किसानों को आठ से 10 हजार रुपये प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा।

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Web Title: Power engineers supported the agitating farmers

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