बिहार में खुली स्वास्थ्य सेवाओं की पोल, अस्पताल ने नहीं दी एम्बुलेंस, पिता बच्चे का शव गोद में लेकर गया घर
By एस पी सिन्हा | Published: February 12, 2022 08:29 PM2022-02-12T20:29:10+5:302022-02-12T20:36:18+5:30
नालंदा सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराये जाने पर एक पिता को बच्चे का शव गोद में लेकर जाना पड़ा। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने बच्चे के शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का जहमत नहीं उठाई।
पटना:बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के कई दावे किये जाते हैं लेकिन अस्पतालकर्मियों के कारनामों से सरकार को खासी फजीहत झेलनी पड़ती है। ताजा मामला नालंदा जिले का है, जहां सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराये जाने पर एक पिता को बच्चे का शव गोद में लेकर जाना पड़ा।
जानकारी के अनुसार बेन थाना क्षेत्र के जुलुम रजक का पुत्र आदित्य कुमार खेलने के दौरान चार दिन पहले छत से नीचे गिर गया था। परिवार वालों ने उसे फौरन एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया।
शनिवार को हालत बिगड़ने पर उसे निजी क्लीनिक के चिकित्सक ने पटना रेफर कर दिया लेकिन स्थिती की गंभीरता को देखते हुए वह अपने पुत्र को लेकर नालंदा सदर अस्पताल पहुंचा।
अस्पताल में तैनात चिकित्सक ने बच्चे को देखने के बाद मृत घोषित कर दिया। इसके बाद रजक अपने बच्चे के शव को लेकर काफी देर तक लेकर इधर-उधर भटकता रहा। लेकिन अस्पताल प्रशासन में से किसी ने उसके बच्चे के शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का जहमत नहीं उठाई।
इस बीच किसी ने उसे 102 नबंर पर डायल करके फ्री एम्बुलेंस सेवा से बात भी करवाई। लेकिन फ्री एंबुलेंस सेवा की ओर से किसी तरह का कोई जबाब नहीं मिला। अंत में थकहार वह अपने बच्चे के शव को गोद में लेकर अस्पताल से घर की ओर निकल गया।
इस मामले में रजक के दावे के उलट सदर अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर आरएन प्रसाद ने कहा कि किसी ने अस्पताल प्रबंधन से एम्बुलेंस की मांग नहीं की थी। एसएनसीयू में मौजूद चिकित्सक ने जब बच्चे को मृत घोषित कर दिया था। तब मृत बच्चे के पिता से पूछा गया था कि अगर वह एम्बुलेंस से शव ले जाना चाहते है तो उन्हें मुफ्त एम्बुलेंस सेवा दी जाएगी। लेकिन इस विषय पर वो चुप रहे और फिर बच्चे का शव लेकर अस्पताल से चले गये।