'राजनीति अब सेवा नहीं सत्ता हासिल करके पैसे बनाने का पेशा बन गई है', पूर्व जस्टिस संतोष हेगड़े ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 15, 2023 15:07 IST2023-08-15T14:51:14+5:302023-08-15T15:07:54+5:30
भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल जस्टिस संतोष हेगड़े ने देश के स्वतंत्रता दिवस पर अफसोस जताते हुए कहा कि राजनीति सत्ता और पैसे का पेशा बन गई है।

फाइल फोटो
बेंगलुरु: भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल जस्टिस संतोष हेगड़े ने देश के स्वतंत्रता दिवस पर अफसोस जताते हुए कहा कि राजनीति सत्ता और पैसे का पेशा बन गई है और यह एक सेवा नहीं रह गई है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज ने यह भी कहा कि आज के समाज में दो सामाजिक मूल्यों का विकास बेहद आवश्यक है, एक है संतोष और मानवतावाद ताकि ताकि विखंडित हो रहे समाज में एकजुटता हो और शांति बनी रहे।
उन्होंने कहा कि देश में कई लोगों ने बिना किसी लोभ-लालच के विदेशी शासन के खिलाफ आजादी के लिए लड़ाई लड़ी क्य़ोंकि वह देश के प्रति उनका प्रेम था, उन्होंने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद लोग अपनी इच्छा से राष्ट्र की सेवा के रूप में राजनीति में शामिल हुए और कुछ दशकों तक निर्वाचित प्रतिनिधियों को कोई वेतन नहीं मिला। केवल उन्हें वास्तविक खर्चों का भुगतान किया जाता था।
आजादी के वक्त निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका केवल संसद या राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित निकायों की कार्यवाही में भाग लेने तक होती थी। निर्वाचित निकायों की कार्यवाही वर्ष में 100 दिनों की अवधि के लिए होती थी और उनकी भूमिका कानून और नीतियां बनाने की होती थी।
उस जमाने में निर्वाचित प्रतिनिधि बनने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं थी और प्रशासन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इसलिए उन्हें अपने अस्तित्व के लिए अन्य वैध स्रोत खोजने पड़े लेकिन पिछले 50 वर्षों में प्रशासन का पूरा का पूरा ढांचा बदल गया है।
कार्यपालिका, जिसे संविधान के तहत प्रशासन सौंपा गया था। उसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधीन बना दिया गया है। उन्होंने कहा, "उसी का नतीजा है कि आज वास्तव में निर्वाचित प्रतिनिधि प्रशासन के स्वामी बन गए हैं, जो आज उन्हें इतनी अधिक शक्तियां सौंपता है।"
न्यायमूर्ति हेगड़े ने कहा, "जैसा कि पुरानी कहावत है, सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूरी तरह से भ्रष्ट करती है। आज का नारा बन गया है। आज के प्रशासन में भ्रष्टाचार जगजाहिर है। राजनीति एक सेवा नहीं रह गई है, यह सत्ता और पैसे का पेशा बन गई है।"
उन्होंने कहा, "कर्नाटक की पिछली सरकार पर विपक्ष ने 40 फीसदी कमीशन सरकार होने का आरोप लगाया था, जिसे आम तौर पर स्वीकार किया जाता है। इसका सीधा मतलब है कि आज राजनीति एक सेवा नहीं है, बल्कि यह एक पेशा बन गई है।"