राजनीतिक दल कर रहे आपराधिक छवि के नेताओं को उम्मीदवार बनाये जाने के नफे-नुकसान का आकलन

By भाषा | Published: September 27, 2021 02:01 PM2021-09-27T14:01:51+5:302021-09-27T14:01:51+5:30

Political parties are assessing the pros and cons of making candidates of criminal image leaders | राजनीतिक दल कर रहे आपराधिक छवि के नेताओं को उम्मीदवार बनाये जाने के नफे-नुकसान का आकलन

राजनीतिक दल कर रहे आपराधिक छवि के नेताओं को उम्मीदवार बनाये जाने के नफे-नुकसान का आकलन

(आनन्‍द राय)

लखनऊ, 27 सितंबर उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष की शुरुआत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से अपराधियों के खिलाफ राज्य सरकार के कड़े रुख को जनता के समक्ष पेश करने के बीच, दूसरे राजनीतिक दलों ने आपराधिक छवि के नेताओं को उम्मीदवार बनाए जाने के नफे नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तक सभी, अपनी सभाओं में पिछले साढ़े चार साल में माफियाओं के खिलाफ की गई ‘‘कठोर कार्रवाई’’ का ब्योरा दे रहे हैं।

हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महराजगंज की एक सभा में कहा कि '' विकास के लिए उत्तम कानून व्यवस्था की आवश्यकता होती है और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सुनते ही अपराधी नींद में भी कांपने लगते हैं।''

माफिया संस्कृति के खिलाफ संदेश देने की योजना के तहत ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने 10 सितंबर को एक बयान जारी कर मऊ से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को टिकट न देने का ऐलान किया। उन्होंने ट्वीट किया कि बसपा आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी बाहुबली व माफिया को पार्टी का टिकट नहीं देगी। हालांकि उसी दिन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने मुख्तार अंसारी को मनचाही सीट से चुनाव लड़ने का न्योता दे दिया। साथ ही अंसारी के पुराने सहयोगी रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी उनके समर्थन में आ गये।

मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी, ज्ञानपुर, भदोही के विधायक विजय मिश्र, सैयदराजा, चंदौली के विधायक सुशील सिंह, जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह और फूलपुर के पूर्व सांसद अतीक अहमद पिछले वर्षों में किसी न किसी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। वर्ष 2005 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद क्षेत्र के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या समेत कई गंभीर मामलों में आरोपी रहे मऊ से पांच बार के विधायक मुख्तार अंसारी इस समय बांदा की जेल में बंद हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में 147 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से भाजपा के 83, सपा के 11, बसपा के चार और कांग्रेस के एक विधायक पर गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं।

उत्तर प्रदेश एडीआर के संयोजक संजय सिंह ने ''पीटीआई-भाषा' को बताया कि अपराधियों को टिकट देने के मामले में राजनीतिक दलों में होड़ लगी रहती है। ‘एडीआर और यूपी इलेक्शन वॉच’ के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सभी चरणों के प्रत्याशियों की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले कुल 15 फीसदी यानी कि 704 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज थे, वहीं 2012 के विधानसभा चुनावों में यह तादाद 557 यानी केवल आठ फीसदी ही थी।

एडीआर संयोजक के अनुसार, 2017 में बहुजन समाज पार्टी ने 38 फीसदी, समाजवादी पार्टी ने 37 फीसदी, भारतीय जनता पार्टी ने 36 फीसदी और कांग्रेस ने 32 फीसदी अपराधियों को टिकट दिया था।

अगले वर्ष राज्य में होने वाले चुनाव में अपराधियों को टिकट देने के सवाल पर भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के वरिष्ठ प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा, ''मुकदमा दर्ज हो जाना किसी व्यक्ति के अपराधी होने का प्रमाण नहीं है। मुकदमा तो कई बार राजनीतिक कारणों से द्वेषवश भी दर्ज कराए जाते हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है, प्रारंभ से ही वह राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ रही है और 2017 में भाजपा ने अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश का नारा दिया था।''

सामूहिक हत्याकांड के आरोपी अशोक सिंह चंदेल को हमीरपुर से भाजपा का टिकट मिलने की याद दिलाने पर उन्होंने कहा ''अपवाद स्वरूप कुछ हो गया हो तो मैं नहीं कह सकता लेकिन नीतिगत रूप से पार्टी कभी भी अपराधियों को राजनीतिक चोला पहनाने के खिलाफ है और 2022 में भी इसी नीति का पालन होगा।''

गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में हमीरपुर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीते सामूहिक हत्याकांड के आरोपी चंदेल को 2019 में अदालत द्वारा दोषी ठहराने तथा सजा सुनाए जाने के बाद इस्तीफा देना पड़ा और हमीरपुर में उपचुनाव भी हुआ। भाजपा के ही टिकट पर उन्नाव के बांगरमऊ से जीते कुलदीप सिंह सेंगर को दुष्कर्म के जुर्म में सजा होने के बाद त्यागपत्र देना पड़ा और वहां भी उपचुनाव हुआ।

समाजवादी पार्टी के मुख्‍य प्रवक्‍ता और उत्‍तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने अपराधियों को टिकट देने के मसले पर कहा '' भाजपा अपराधियों की जमात है और सपा कभी अपराधियों को टिकट नहीं देती। हम मानते हैं कि राजनीति का अपराधीकरण लोकतंत्र के लिए घातक है। सपा अपराधियों को टिकट नहीं देगी।''

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी (अब गाजीपुर से बसपा सांसद) के नेतृत्व वाले कौमी एकता दल के सपा में विलय को खारिज कर दिया था। तब अफजाल अंसारी ने सपा प्रमुख पर धोखा देने का आरोप लगाया था।

आपराधिक छवि वाले नेताओं को टिकट देने के बारे में पूछे जाने पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा ''आईपीसी की धारा एक समान है और राजनीतिक तथा आपराधिक मुकदमों की कोई श्रेणी तय नहीं हुई है। मुकदमे तो राजनीतिक द्वेषवश धरना-प्रदर्शन में भी दर्ज करा दिये जाते हैं। हां, कांग्रेस पार्टी गंभीर आपराधिक मामलों में निरुद्ध लोगों को टिकट नहीं देगी।

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Web Title: Political parties are assessing the pros and cons of making candidates of criminal image leaders

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