शैलजा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना ‘राजनीतिक और संगठनात्मक’ फैसला : माकपा

By भाषा | Published: May 19, 2021 03:52 PM2021-05-19T15:52:38+5:302021-05-19T15:52:38+5:30

'Political and organizational' decision not to include Shailaja in cabinet: CPI-M | शैलजा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना ‘राजनीतिक और संगठनात्मक’ फैसला : माकपा

शैलजा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना ‘राजनीतिक और संगठनात्मक’ फैसला : माकपा

तिरुवनंतपुरम, 19 मई केरल में नए मंत्रिमंडल में के के शैलजा को शामिल किये जाने के लिये सोशल मीडिया पर तेज होती मुहिम के बीच माकपा ने बुधवार को कहा कि लोकप्रिय स्वास्थ्य मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल न करना पार्टी का एक “राजनीतिक व संगठनात्मक” फैसला है और इस पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यवाहक सचिव ए विजय राघवन ने कहा कि नेतृत्व ने पहले ही पार्टी द्वारा इस संदर्भ में लिये गए फैसले की जानकारी दे दी है।

सोशल मीडिया मंचों पर चल रहे अभियान ‘‘शैलजा टीचर’ को वापस लाओ’ के बारे में पूछे जाने पर विजय राघवन ने कहा कि यह उनके संज्ञान में नहीं है। के के शैलजा राज्य में ‘शैलजा टीचर’ के नाम से भी लोकप्रिय हैं।

उन्होंने कहा कि जहां तक कम्युनिस्ट पार्टी की बात है, राजनीति और संगठन समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और मौजूदा फैसला इसी के अनुरूप है।

उन्होंने कहा, “पार्टी को अपने राजनीतिक और संगठनात्मक हितों को ध्यान में रखना होगा। सत्ताधारी दल के तौर पर, उसे राज्य के हितों की रक्षा के लिये भी उचित विचार करना होगा। इसलिये, गंभीर चिंतन के बाद पार्टी ऐसे फैसलों पर पहुंचती है।”

वाम नेता ने कहा कि जहां तक माकपा का विचार है, उस पर नई सरकार को बेहतर तरीके से निर्देशित करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि नई सरकार का उल्लेखनीय प्रदर्शन करना उसकी शीर्ष प्राथमिकता है।

पिनराई विजयन को मंगलवार को दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त करने के लिये पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया, लेकिन नए मंत्रिमंडल में शैलजा को जगह नहीं दिए जाने से विवाद खड़ा हो गया।

राज्य में कोविड-19 की पहली लहर को नियंत्रित रखने में प्रभावी भूमिका निभाने के लिये वैश्विक मीडिया ने उनके काम की काफी तारीफ की थी। शैलजा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिये जाने पर विभिन्न पक्षों ने नाराजगी जाहिर की है।

उन्हें मंत्रिमंडल में वापस लाने की मांग को लेकर सोशल मीडिया मंचों पर ‘हमारी टीचर को वापस लाओ’, ‘शैलजा टीचर को वापस लाओ’ जैसी मुहिम चल रही है और पार्टी के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्हें नए मंत्रिमंडल में वापस लाने का अनुरोध किया गया है।

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने ट्वीट किया, “केरल मंत्रिमंडल में शैलजा टीचर को नहीं देखकर अफसोस है। उनकी प्रतिष्ठित क्षमता और दक्षता के अलावा एक स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर कोविड संकट के दौरान मैंने उन्हें हमेशा मददगार, उत्तरदायी और सुलभ पाया। उनकी कमी महसूस की जाएगी।”

प्रख्यात लेखक और वाम समर्थक एन एस माधवन ने भी शैलजा को मंत्रिमंडल में शामिल न किये जाने पर अफसोस जताया।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “शैलजा टीचर को हटाए जाने से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक धारणात्मक समस्याएं पैदा होंगी, आम आदमी और स्वास्थ्य कर्मी पहले ही खुद को अनाथ महसूस कर रहे हैं। दिल से चाहता हूं कि इस मुद्दे पर फिर से विचार हो-अब भी समय है।

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