देवघरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के देवघर से विपक्ष पर हमला किया। शॉर्टकट की राजनीति बहुत आसान होती है, शॉर्टकट अपनाकर लोगों से वोट लेना। उन्हें मेहनत नहीं करनी होती लेकिन ये बहुत बड़ी सच्चाई है, जिस देश की राजनीति शॉर्टकट पर आधारित हो जाती है उसका एक दिन शॉर्ट सर्किट हो जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आस्था और अध्यात्म की धरती है, तीर्थयात्राओं ने एक बेहतर समाज और देश बनाया है। लोक-लुभावने कदमों पर आधारित शॉर्ट-कट राजनीति भारत को बर्बाद कर सकती है, शॉर्ट-सर्किट कर सकती है। आज पूरी दुनिया में अनेक देश हैं, जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था सिर्फ और सिर्फ पर्यटकों के भरोसे चल रही है।
कल देवघर की दिवाली....पूरा देश देख रहा था कि जब विकास की गंगा बहती है तब जन-जन के दिल में कितना आनंद होता है वो कल आपने दीपक जलाकर पूरे देश को संदेश दे दिया है। आज हम उस कार्य संस्कृति को लाए हैं, उस राजनीतिक संस्कृति को लाए हैं, उस गवर्नेंस के मॉडल को लाए हैं कि जिसका शिलान्यास हम करते हैं उसका उद्घाटन भी हम करते हैं।
केदारनाथ धाम में जब वहां पुनर्निर्माण नहीं हुआ था और सुविधाएं नहीं बढ़ी थी तो कपाट खुलने के शुरुआती 2 महीनें में औसतन 2 से 2.5 लाख यात्री वहां आते थे। इस साल कपाट खुलने के शुरुआती 2 महीनों में ही करीब 9 लाख श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं।
झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जबसे काशी में विकास ने गति पकड़ी है, काशी विश्वनाथ परिसर का सौन्दर्यकरण हुआ है, बनारस आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। तीन साल पहले की तुलना में इस साल वाराणसी में अभी तक 3 गुना अधिक यात्री आए हैं।
मुझे विश्वास है कि जो परियोजनाएं आज हमने शुरू की हैं, वो झारखंड के विकास को नई गति देने जा रही हैं। कल आप दीप जला रहे थे, आज उमंग और उत्साह से उमड़ पड़े, और जहां तक मेरी नजर जा रही है वहां तक लोग ही लोग हैं, इसका मतलब है कि लोगों को विकास चाहिए।
हमारी सरकार के लिए बहुत गर्व की बात है कि 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को हमने जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है। धरती आबा बिरसा मुंडा के बेहतरीन और आधुनिक संग्रहालय के निर्माण का सौभाग्य भी हमें ही मिला है।
बीते वर्षों में जिन भी तीर्थ स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा गया, वहां यात्रियों, पर्यटकों की संख्या अनेक गुना बढ़ गई है। इसका सीधा लाभ वहां रहने वाले, आस-पास के लोग, आस-पास के जिलों के लोगों को हो रहा है। आज पर्यटन दुनिया के अनेक देशों में एक आकर्षक उद्योग के रूप में रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम बना हुआ है।
पहले की सरकारों में योजनाओं की घोषणा होती थी, फिर एक दो सरकार जाने के बाद कोई आकर एक-दो पत्थर लगाकर जाता था। पत्थर लटकता रहता था, दो-चार सरकारें चलने के बाद काई और आता, फिर वो ईंट लगाता था, पता नहीं कितनी सरकारें जाने के बाद वो योजना सामने दिखती थी।