चीन सीमा पर बढ़ेगी भारत की ताकत, सेना के लिए लाइफ लाइन ‘अटल टनल’, जानिए खासियत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 25, 2019 01:07 PM2019-12-25T13:07:00+5:302019-12-25T13:13:49+5:30

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आज देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण एक बड़ी परियोजना का नाम अटल जी को समर्पित किया गया है। हिमाचल प्रदेश को लद्दाख और जम्मू कश्मीर से जोड़ने वाली, मनाली को लेह से जोड़ने वाली, रोहतांग टनल, अब अटल टनल के नाम से जानी जाएगी।’’

PM Narendra Modi names Rohtang passageway as Atal Tunnel | चीन सीमा पर बढ़ेगी भारत की ताकत, सेना के लिए लाइफ लाइन ‘अटल टनल’, जानिए खासियत

इस टनल पर 4000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

Highlightsसुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। कुल 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को लेह और मनाली को जोड़ने वाली सुरंग का नामकरण ‘अटल टनल’ करने की घोषणा की। मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में यह घोषणा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आज देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण एक बड़ी परियोजना का नाम अटल जी को समर्पित किया गया है। हिमाचल प्रदेश को लद्दाख और जम्मू कश्मीर से जोड़ने वाली, मनाली को लेह से जोड़ने वाली, रोहतांग टनल, अब अटल टनल के नाम से जानी जाएगी।’’

जानिए इसके बारे में

रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्‍व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।

सुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।

कुल 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है।

इससे सड़क मार्ग से मनाली से लेह की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी।

15 अक्‍टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण पूरा कर लिया गया।

बेहद आधुनिक और एडवांस टेक्नोलॉजी से बनी ये सुरंग अपने आप में इस तरह की पहली सुरंग होगी।

ये सुरंग, लेह-मनाली राजमार्ग को हर मौसम में रणनीतिक लद्दाख क्षेत्र को बेहद आसान बना देगी, जो चीन और पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है।

देश की सबसे लंबी सड़क सुरंगों में से एक रोहतांग सुरंग हिमालय के पूर्वी पीर पंजाल रेंज के नीचे रोहतांग दर्रे की नीचे 10,171 फुट की ऊंचाई पर बनाई जा रही है।

यह रास्ता कुल्लू घाटी को लाहौल स्पिति से जोड़ता है। इस रास्ते पर पहली बार इलेक्ट्रिक बस सेवा की शुरुआत की गई है।

यह रास्ता अचानक आने वाले बर्फानी तूफान के कारण खतरनाक माना जाता है। पुराने समय में इस रास्ते को व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

मई 2020 में इसका उद्घाटन प्रस्तावित है। रोहतांग टनल बनने से मनाली और केलांग के बीच की दूरी करीब 46 किलोमीटर कम हो जाएगी।

रोहतांग टनल या अटल टनल भारतीय सेना के लिए लाइमलाइन साबित होगी। बीआरओ की देखरेख में ऑस्ट्रिया और भारत की जाइंट वेंचर स्ट्रॉबेग-एफकॉन कंपनी इसका निर्माण कर रही है।

इस टनल पर 4000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 2020 में यह टनल नियमित ट्रैफिक के लिए खुल जाएगा। यह इलाका विश्व भर के हलचल से जुड़ जाएगा।

 

Web Title: PM Narendra Modi names Rohtang passageway as Atal Tunnel

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