यूपी में बजट के अभाव में अटकी पीएम मोदी की जल जीवन मिशन योजना, संविदा कर्मी, इंजीनियर आदि को नहीं मिल रहा वेतन
By राजेंद्र कुमार | Updated: September 15, 2025 16:55 IST2025-09-15T16:55:47+5:302025-09-15T16:55:58+5:30
पीएम नरेंद्र मोदी ही इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए केंद्र सरकार ने 3.60 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था. इस बजट में 1,52,521.82 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश में लोगों के घरों में नल से जल पहुंचाने में खर्च किए जाने हैं.

यूपी में बजट के अभाव में अटकी पीएम मोदी की जल जीवन मिशन योजना, संविदा कर्मी, इंजीनियर आदि को नहीं मिल रहा वेतन
लखनऊ : देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन योजना का शुभारंभ किया था. पीएम नरेंद्र मोदी ही इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए केंद्र सरकार ने 3.60 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था. इस बजट में 1,52,521.82 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश में लोगों के घरों में नल से जल पहुंचाने में खर्च किए जाने हैं.
बीते पांच वर्षों से यूपी के ग्रामीण क्षेत्र के हर घर में नल से जल पहुंचाने का कार्य किया जा रहा था, परन्तु अब बजट के अभाव में जल जीवन मिशन योजना पर ब्रेक लग गया है. इसकी वजह है, केंद्र सरकार से इस योजना के लिए बीते सात माह से बजट का ना मिलना. इस कारण जल जीवन मिशन ही अधिकांश योजनाओं का कार्य ठप्प हो गया है और इस योजना में कार्य कर रहे 1600 से अधिक संविदा कर्मियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है.
इन्हे नहीं मिल रहा वेतन :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही अति महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना की यूपी में हो रही फजीहत का अनुमान इस योजना में कार्य कर रहे अफसरों ने भी नहीं लगाया था. परंतु अब राज्य में जल जीवन मिशन की कई पूरी हो चुकी परियोजनाओं को सिर्फ इसलिए आपरेशनल नहीं किया जा रहा है क्योंकि इसके लिए बजट नहीं है.
यही नहीं कई जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए बनाई जाने वाली टंकियों का निर्माण भी रोक दिया गया है क्योंकि टंकी का निर्माण करने वाले कार्यदायी संस्थाओं को भुगतान करने के लिए फंड हीं बचा है. कार्यदायी संस्थाओं का करोड़ों रुपया बकाया हो चुका है, ऐसे में वह भी अब नया निर्माण शुरू करने के लिए धन ही मांग कर रही है.
इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि राज्य में जल जीवन मिशन के संचालन के लिए बनाए गए राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में मौजूद करीब 1600 से अधिक संविदा कर्मियों और 191 असिस्टेंट इंजीनियरों तथा 392 जूनियर इंजीनियर आदि को वेतन देने के लिए भी धन नहीं है. बीते तीन माह से संविदा पर भर्ती इन लोगों को वेतन नहीं मिला है.
राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के संयुक्त अधिशासी निदेशक राजेश प्रजापति बताते हैं कि सात माह से योजना के लिए केंद्र सरकार से बजट नहीं मिला है. राज्य सरकार ने योजना के लिए कुछ बजट दिया था, लेकिन अब वह भी खत्म हो गया, इस कारण दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. जल्दी ही यह दिक्कते दूर होंगी. फिलहाल पैसे की कमी के कर्ण संविदा कर्मियों को कुछ माह से वेतन नहीं मिला है. प्रदेश सरकार द्वारा संविदा कर्मियों को वेतन देने की व्यवस्था ही जा रही है.
यूपी में हुआ अब तक यह कार्य :
उत्तर प्रदेश में जब जल जीवन मिशन की शुरुआत हुई थी तब केवल 1.95 करोड़ ग्रामीण लोगों के घरों में नल का कनेक्शन था. अब राज्य में 2.85 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल का पानी मिल चुका है. सूबे के 24,576 से अधिक गांवों में 100% घरों में नल से शुद्ध पानी पहुंच रहा है. अभी भी सूबे के हजारों गांवों में नल से जल पहुंचाया जाना बाकी है.
सरकार का प्रयास है कि शेष बचे हुए घरों में भी जल्द से जल्द नल से पानी पहुंचाया जाए, लेकिन अभी तो बजट के अभाव में यह कार्य ही ठप्प सा हो गया है. इस कर्ण योजना के तहत किए गए कार्यों यानी पाइपलाइन बिछाना, पानी की टंकियों का निर्माण करना और उनकी देखरेख करना आदि बंद है.