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पीएल पुनिया का PM मोदी पर हमला, कहा- मत्था टेकने की रही इनकी परंपरा, नाथूराम गोडसे ने भी गांधी जी के पैर छूकर मारी थी गोली  

By रामदीप मिश्रा | Updated: February 13, 2020 15:53 IST

उत्तराखंड सरकार की सितम्बर 2012 की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार पदोन्नतियों में आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए बाध्य नहीं है, इसलिए हाईकोर्ट को राज्य के फैसले को अवैध नहीं घोषित करना चाहिए था।

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ठळक मुद्देनियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर शीर्ष न्यायालय के एक फैसले को लेकर विपक्ष संसद से लेकर सड़क तक नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है।पीएल पुनिया ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और कहा है कि संविधान के ऊपर हमला किया जा रहा है।

नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर शीर्ष न्यायालय के एक फैसले को लेकर विपक्ष संसद से लेकर सड़क तक नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है। इस बीच गुरुवार (13 फरवरी) को कांग्रेस के दिग्गज नेता पीएल पुनिया ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और कहा है कि संविधान के ऊपर हमला किया जा रहा है।

समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पीएल पुनिया ने आरक्षण को लेकर कहा, 'संविधान के ऊपर सीधा-सीधा हमला किया जा रहा है। लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री जब 2019 में दूसरी बार आए तो उन्होंने संविधान पर मत्था टेका था और 2014 में जब संसद में पहली बार आए थे तो उन्होंने संसद की सीढ़ियों पर मत्था टेका था। ये तो इनकी आदत है।'

उन्होंने आगे कहा, '2014 में संसद के सामने सर झुकाकर वह (पीएम मोदी) अंदर गए थे और उसके बाद संसद को जिस तरह से चलाया जा रहा है, संसद की कार्यवाही की प्रक्रिया को छोड़कर कानून पास करवाए जा रहे हैं। आजतक हिन्दुस्तान में कभी नहीं हुआ और मत्था टेक-टेककर नाथूराम गोडसे ने सबसे पहले गांधी जी के पैर छुए थे और उसके बाद गोली मारी थी। ये इनकी (पीएम मोदी) की पुरानी पंपरा है। ये समझ जाइए, लेकिन ये सीधा-सीधा है कि आज एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों पर खुल्लम-खुल्ला हमला हो रहा है। और इसमें केंद्र में बैठे हुए नरेंद्र मोदी से लेकर सभी लोग शामिल हैं। ' सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मचे बवाल पर नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में स्पष्ट किया कि वह एससी, एसटी के लिए आरक्षण को प्रतिबद्ध है और इस फैसले को लेकर उच्च स्तर पर विचार के बाद समुचित कदम उठाएगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को दिए अपने एक फैसले में कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है । 

उत्तराखंड सरकार की सितम्बर 2012 की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार पदोन्नतियों में आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए बाध्य नहीं है, इसलिए हाईकोर्ट को राज्य के फैसले को अवैध नहीं घोषित करना चाहिए था। यह राज्य सरकार को तय करना है कि सरकारी पदों पर नियुक्ति और पदोन्नति के मामले में आरक्षण की आवश्यकता है या नहीं।

टॅग्स :कांग्रेसनरेंद्र मोदीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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