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महज 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम, पिनाक मिसाइल का परीक्षण, जानिए खासियत, देखें वीडियो

By भाषा | Updated: December 20, 2019 20:52 IST

रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसका विकास किया है और यह पिनाक एमके-II रॉकेट का एक उन्नत संस्करण है जिसमें सटीकता और मारक क्षमता में सुधार के लिए नौवहन, नियंत्रण एवं दिशा निर्देश प्रणाली शामिल की गई है।

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ठळक मुद्देमिसाइल प्रणाली उच्च सटीकता के साथ दुश्मन के क्षेत्र में 75 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है।मिसाइल का परीक्षण यहां पास में चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से किया गया।

भारत के स्वदेश निर्मित पिनाक मिसाइल प्रणाली का लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी सफल उड़ान परीक्षण हुआ। यह मिसाइल 75 किलोमीटर तक लक्ष्य को निशाना बना सकती है जिससे सेना की युद्धक क्षमता में इजाफा होगा।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसका विकास किया है और यह पिनाक एमके-II रॉकेट का एक उन्नत संस्करण है जिसमें सटीकता और मारक क्षमता में सुधार के लिए नौवहन, नियंत्रण एवं दिशा निर्देश प्रणाली शामिल की गई है।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि मिसाइल प्रणाली उच्च सटीकता के साथ दुश्मन के क्षेत्र में 75 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है। मिसाइल का परीक्षण यहां पास में चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से किया गया। मिसाइल की नौवहन प्रणाली में भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) ने भी सहायता की।

सूत्रों ने बताया, ‘‘मिशन रेंज, सटीकता और संचालन प्रणाली के सभी मानदंड पर कामयाब रहा।’’ आर्टिलरी मिसाइल प्रणाली का इसी तरह का परीक्षण बृहस्पतिवार को किया गया था। सूत्रों ने बताया कि इसकी ट्रैकिंग टेलीमेट्री, रेडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग प्रणाली (ईओटीएस) से की जाती है। इससे पहले मार्च में पिनाक गाइडेड रॉकेट प्रणाली का तीन बार सफल परीक्षण राजस्थान में पोकरण टेस्ट रेंज से हुआ था। भाषा सुरभि शाहिद शाहिद

इससे पहले गुरुवार को भी इसका सफल परीक्षण किया गया था। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, महज 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम पिनाका मार्क-2 ने सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। इस रॉकेट के इसी साल मार्च में राजस्थान की पोखरण टेस्ट रेंज में भी तीन सफल परीक्षण किए गए थे। अब यहां भी परीक्षण की सफलता को सेना की आर्टिलरी क्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

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