बिहार में अस्पतालों की भयावहता को दर्शाती यह तस्वीर, बदइंतजामी और लापरवाही के कारण बेमौत मरने को विवश हैं लोग

By एस पी सिन्हा | Published: July 25, 2020 03:54 PM2020-07-25T15:54:37+5:302020-07-25T15:54:37+5:30

बिहार के अस्पतालों की स्थिती इतनी भयावह हो गई है कि लोग अब अस्पताल का नाम सुनकर ही दहशत में आ जा रहे हैं. लोगों का कहना है अस्पताल में जाना तो अपने वश की बात है, लेकिन वहां से जिंदा वापस लौटने की कोई गारंटी नही है.

picture depicting the horrors of hospitals in Bihar, people are forced to die due to irresponsibility and negligence. | बिहार में अस्पतालों की भयावहता को दर्शाती यह तस्वीर, बदइंतजामी और लापरवाही के कारण बेमौत मरने को विवश हैं लोग

पिछले 6 महीने में बिहार सरकार की तैयारी का आलम है कि अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड तक नहीं है. 

Highlightsबिहार के अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का ईलाज किस प्रकार किया जा रहा हैआइसीयू में कोरोना पॉजिटिव मरीज बेड से गिर कर जमीन पर करीब 40 मिनट तक पड़ा रहा

पटना: बिहार के अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का ईलाज किस प्रकार किया जा रहा है, इसका जीता जागता तस्वीर गया के एक अस्पताल से सामने आई है. इस फोटो में यह स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह से एक कोरोना संक्रमित मरीज को कुर्सी पर बैठाकर ऑक्सीजन दिया जा रहा है. यह केवल एक बानगी भर है मात्र. पिछले 6 महीने में बिहार सरकार की तैयारी का आलम है कि अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड तक नहीं है. 

वहीं एक दूसरी खबर भागलपुर में स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल से सामने आई है, जहां आइसीयू में कोरोना पॉजिटिव मरीज बेड से गिर कर जमीन पर करीब 40 मिनट तक पड़ा रहा. इसकी जानकारी वार्ड में भर्ती मरीजों ने तैनात गार्ड को दी. इस पर गार्ड ने उनको समझा दिया कि मरीज को उठाने की जिम्मेदारी उनकी नहीं है. वो कुछ नहीं कर सकते. मामला जब आइसीयू से निकल कर अस्पताल के बाहर आया तो प्रभारी अधीक्षक डॉ कुमार गौरव को इसकी जानकारी हुई. 

उनकी पहल पर डॉक्टर पीपीई किट और इसीजी मशीन लेकर वार्ड में पहुंचे. मरीज को उठा कर बेड पर रखा और जांच की. मरीज की स्थिति बेहतर थी. उक्त वार्ड में चार लोग भरती थे. इसमें एक मरीज की हालत बेहतर नहीं थी, पर अन्य तीन ठीक थे. उन लोगों ने भी जमीन पर गिरे मरीज को उठाने की कोशिश नहीं की. खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी दूसरे पॉजिटिव को टच करने से सब डर रहे थे. दूसरी ओर फर्श पर गिरा मरीज बार-बार मदद के लिए गुहार लगा रहा था.

मरीज के बेड से गिरने के मामले में उठने लगे सवाल 

बताया जाता है कि नवगछिया तुलसीपुर के 70 साल के कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग को अस्पताल में शुक्रवार दोपहर करीब साढे चार बजे भर्ती किया गया था. उनकी हालत देखते हुए उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया. शाम करीब आठ बजे वह बेड से गिर गये. जानकारों के अनुसार उस दौरान तैनात वार्ड अटेंडेंट भी गायब था. मामले की जानकारी मिलने पर मायागंज अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ कुमार गौरव ने हॉस्पिटल मैनेजर को तत्काल पहुंचाने का निर्देश दिया, फिर मदद मिली.

ऐसे में मरीज के बेड से गिरने के मामले में यह सवाल उठने लगा है कि ऐसे मरीजों के वार्ड की निगरानी की क्या व्यवस्था है? यह तो अलग बात थी कि कुछ मरीज ऐसे थे, जिन्होंने हल्ला किया या किसी को बुलाया, पर यह स्थिति नहीं होती तो क्या होता? क्यों नहीं ऐसे वार्डों की निगरानी की पुख्ता व्यवस्था हो. इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी अधीक्षक डॉ कुमार गौरव ने कहा कि मरीज के बारे में जानकारी होते ही मदद पहुंचाई गई. मरीज को मदद पहुंचाने से पहले पीपीई किट डॉक्टर एवं अन्य कर्मी को पहनना था. ऐसे में 20 मिनट की देरी हुई. मरीज की स्थिति सामान्य है. उनका इलाज किया जा रहा है.

बिहार के अस्पतालों की स्थिती इतनी भयावह हो गई है

यह महज कुछ उदाहरण मात्र हैं. बिहार के अस्पतालों की स्थिती इतनी भयावह हो गई है कि लोग अब अस्पताल का नाम सुनकर ही दहशत में आ जा रहे हैं. लोगों का कहना है अस्पताल में जाना तो अपने वश की बात है, लेकिन वहां से जिंदा वापस लौटने की कोई गारंटी नही है. अभी तो हालात ऐसे हैं कि कोरोना संक्रमण के नाम पर भर्ती हुए भले-चंगे लोगों की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन के द्वारा यह बता दिया जाता है कि अमुक संक्रमित व्यक्ति विभिन्न गंभीर बिमारियों से ग्रसित था.

कल ही एनएमसीएच अस्पताल में हुई सुजीत कुमार की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन का यह कहना रहा कि उन्हें शुगर, ब्लड प्रेशर और टीबी की बिमारी थी. जबकि परिवार वालों का कहना है कि उन्हें किसी प्रकार की बिमारी थी ही नही. अस्पताल मेम भर्ती होने के बाद किसी ने उसकी सुध लेनी भी मुनासिब नही समझा, जबकि कई तरह से पैरवी भी कराये गये. इसतरह से बिहार में स्थिती भयावह होती जा रही है और सरकार के दावे भी सातवें आसमान पर है. लेकिन जिंदगी भगवान भरोसे ही ही है.

Web Title: picture depicting the horrors of hospitals in Bihar, people are forced to die due to irresponsibility and negligence.

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