जम्मू-कश्मीर: आम जनता ही नहीं घाटी में तैनात जवान भी अपने परिजनों से नहीं कर पा रहे हैं संपर्क

By स्वाति सिंह | Published: August 13, 2019 08:34 AM2019-08-13T08:34:07+5:302019-08-13T08:34:07+5:30

बता दें कि कश्मीर में सोमवार को ईद उल अजहा के मौके पर नमाज पढ़े जाने को स्थानीय मस्जिदों तक सीमित किए जाने के चलते ईद भले ही शांतिपूर्ण ढंग से मनी हो लेकिन इस बार त्योहार की पहले जैसी रौनक नहीं दिखी।

Phone, Internet and landline services canceled in Jammu and Kashmir, central forces wait to call home | जम्मू-कश्मीर: आम जनता ही नहीं घाटी में तैनात जवान भी अपने परिजनों से नहीं कर पा रहे हैं संपर्क

अपने प्रियजनों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे परिवारों के हाथ बस मायूसी लग रही है। 

Highlightsमोबाइल या लैंडलाइन के साथ ही इंटरनेट सेवाएं पिछले आठ दिनों से ठप पड़ी हैं सख्त पाबंदियां लगाई हुईं थी और कस्बों एवं गांवों में सुरक्षा बलों की टुकड़ियां फैली हुई थीं

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लगातार सेलफोन, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाएं निरस्त हैं। आम जनता के साथ-साथ केंद्रीय बलों के हजारों जवान भी अपने परिवारों से संपर्क करने में असमर्थ है।

श्रीनगर में ज़ीरो ब्रिज पर पोस्टेड दो सीआरपीएफ जवान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने 4 अगस्त को अपने परिवारों से बात की थी। लेकिन अब एक हफ्ते से हमने उनसे बात नहीं की है। हमारे परिवार से बात करने का कोई तरीका नहीं है। वहीं, कुछ सौ मीटर आगे तैनात यूपी का एक सीआरपीएफ ने बताया 'घरवालो से संपर्क बनाने की मैंने हर संभव कोशिश की है। मैं हर किसी से पूछ रहा हूं कि क्या घर फोन करने का कोई तरीका है। हम यहां 5 बजे से खड़े हैं। जब तक हम वापस कैंप में जाते हैं, तब तक शाम हो जाती है। यहां कोई फ़ोन काम नहीं कर रहा है। कैंप में हर जवान की शिकायत है कि उसके पास घर से संपर्क करने का कोई तरीका नहीं है।'

कोठी बाग में तैनात तमिलनाडु का 42 वर्षीय सीआरपीएफ जवान ने कहा 'मैंने 5 अगस्त से अपने परिवार से बात नहीं की है। मैं अपने बच्चों और पत्नी से रोज़ बात करता था। लेकिन अब मुझे अपने परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्हें मेरी भी चिंता है। मुझे उम्मीद है कि संचार जल्द ही शुरू होगा और मैं उन्हें फोन कर बता पाऊंगा कि मैं सुरक्षित हूं।'

सरकार ने जवानों के इस्तेमाल के लिए सैटेलाइट फोन मुहैया कराए थे, लेकिन जब उनका इस्तेमाल हुआ तो पाया गया कि वे काम नहीं कर रहे हैं। इसके बाद सेलफोन कंपनियों, विशेष रूप से सरकारी स्वामित्व वाली बीएसएनएल को कुछ फोन लगाने को कहा गया।

बता दें कि कश्मीर में सोमवार को ईद उल अजहा के मौके पर नमाज पढ़े जाने को स्थानीय मस्जिदों तक सीमित किए जाने के चलते ईद भले ही शांतिपूर्ण ढंग से मनी हो लेकिन इस बार त्योहार की पहले जैसी रौनक नहीं दिखी। अधिकारियों ने इस दौरान सख्त पाबंदियां लगाई हुईं थी और कस्बों एवं गांवों में सुरक्षा बलों की टुकड़ियां फैली हुई थीं जिससे लोगों की चहलपहल सीमित होने के साथ ही बड़े मैदानों में उनके एकत्र होने पर रोक थी। 

प्रधान सचिव और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के आधिकारिक प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि 90 प्रतिशत स्थानों में ईद मनाई गई। लेकिन घाटी के बड़े हिस्से में सुनसान पड़ी सड़कों के साथ ही लोगों के चेहरों पर भी ईद की कोई चमक नहीं दिखी। सड़कों पर पसरी चुप्पी केवल पुलिस सायरनों और ऊपर मंडराते भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की आवाज से ही टूट रही थी। मोबाइल या लैंडलाइन के साथ ही इंटरनेट सेवाएं पिछले आठ दिनों से ठप पड़ी हैं जिससे अपने प्रियजनों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे परिवारों के हाथ बस मायूसी लग रही है। 

इस बार की ईद केंद्र की उस घोषणा के ठीक एक हफ्ते बाद पड़ी है जिसमें अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया गया। 

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