पेट्रोल-डीजल पर कितनी हुई कमाई, सरकार ने संसद में दिया जवाब, देखें आंकड़े
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 19, 2021 18:42 IST2021-07-19T18:41:02+5:302021-07-19T18:42:23+5:30
वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था।

राजस्व का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया।
नई दिल्लीः सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिए राजस्व का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि यह संग्रह और भी बढ़ा होता, लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण ईंधन की बिक्री में कमी आई। रामेश्वर तेली के मुताबिक, 2018-19 में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिए 2.13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रह हुआ था।
पिछले तीन सालों में 2.15 लााख करोड़ रुपये के प्रस्तावों के पूंजीगत अधिग्रहण को मंजूरी दी गई: सरकार
केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि स्वदेश विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 2,15,690 करोड़ रुपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान के तहत सरकार ने घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों के विकास में मदद देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन वित्तीय वर्षों अर्थात वर्ष 2018-19 से 2020-2021 तक सरकार ने पूंजीगत अधिग्रहण की विभिन्न श्रेणियों के तहत लगभग 2,15,690 करोड़ रूपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को आवश्यकता हेतु स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देता है।’’
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार की ‘‘मेक-इन-इंडिया’’ पहल के तहत देश में 155 एमएम तोपखाना बन्दूक प्रणाली 'धनुष', ब्रिज लेइंग टैंक, टी-72 टैंक हेतु थर्मल इमेंजिंग साइट मार्क-II, हल्का युद्धक विमान 'तेजस', 'आकाश' सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, पनडुब्बी 'आईएनएस कलवरी', 'आईएनएस चेन्नई, पनडुब्बी रोधी युद्ध कार्वेट (एएसडब्ल्यूसी), अर्जुन कवचित मरम्मत एवं रिकवरी वाहन, लैन्डिंग क्राफ्ट यूटिलिटी आदि सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उत्पादन किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' की पहल के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है कि पूंजीगत अधिग्रहण के लिए 1,11,463.21 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 71,438.36 करोड़ रुपये की धनराशि अलग से रखी जाए ।’’ उन्होंने कहा कि विगत तीन वित्त वर्षों के दौरान एयरक्राफ्टों, मिसाइलों, टैंकों, बुलेट प्रूफ जैकेटों, बंदूकों, नौसेना जलयानों, रडारों, नेटवर्क इत्यादि जैसे रक्षा उपकरणों की पूंजीगत खरीद के लिए भारतीय विक्रेताओं के साथ 102 संविदाओं पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
पिछले साल अगस्त में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नेघोषणा की थी कि भारत 101 हथियारों परिवहन एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाई हेलीकॉटर, पारम्ंपरिक पंडुब्बी और क्रूज मिसाइलों जैसे सैन्य मंचों का 2024 तक आयात नहीं करेगा। इसी प्रकार की दूसरी सूची मई, 2021 में जारी की गई थी जिसमें 108 मदें शामिल थीं। इन सूचियों का अभिप्रेत इस प्रतिबंध को दिसम्बर 2025 तक चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करना है।