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पेगासस विवाद: छिपाने के लिये कुछ नहीं, केंद्र ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: August 16, 2021 20:05 IST

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केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगी। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने इस बात पर चर्चा की कि क्या इस मामले में सोमवार को संक्षिप्त सीमित हलफनामा दाखिल करने वाली केंद्र सरकार को विस्तृत हलफनामा भी देना चाहिए। इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। न्यायालय इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।जासूसी के आरोपों की जांच को लेकर याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार का हलफनामा यह नहीं बताता कि सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि पेगासस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा और यह “संवेदनशील” मामला है। मेहता ने पीठ को बताया, “हम एक संवेदनशील मामले को देख रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसे सनसनीखेज बनाने के प्रयास हो रहे हैं।” उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होगा।”सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने पीठ को बताया कि यह मामला “बेहद तकनीकी” है और इसके पहलुओं को देखने के लिये विशेषज्ञता की जरूरत है। उन्होंने कहा, “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है। विशेषज्ञों की समिति से इसकी जांच की जरूरत है। यह बेहत तकनीकी मुद्दा है। हम इस क्षेत्र के प्रमुख तटस्थ विशेषज्ञों की नियुक्ति करेंगे।” सरकार की ओर से दो पन्नों के संक्षिप्त हलफनामे में कहा गया, “यह हालांकि प्रतिवेदित किया जाता है कि निहित स्वार्थों द्वारा फैलाए जाने वाले किसी भी गलत विमर्श को खारिज करने और उठाए गए मुद्दों के निरीक्षण के उद्देश्य से केंद्र सरकार उस क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति बनाएगी जो इस मुद्दे से जुड़े सभी पहलुओं को देखेगी।” इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के इस हलफनामे में कहा गया है, “शुरुआत में यह प्रतिवेदित किया जाता है कि मैं एततद्वारा उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं में प्रतिवादियों के खिलाफ लगाए गए किसी भी और सभी आरोपों से स्पष्ट रूप से इनकार करता हूं।” पीठ ने कहा, ‘‘"आप देखिए, जब सरकार अनिच्छुक है, तो क्या आप उसे एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए मजबूर कर सकते हैं?" पीठ ने कहा, ‘‘हम कल सुनवाई जारी रखेंगे... अगर श्री मेहता (सॉलिसिटर जनरल) हलफनामा दाखिल करने का फैसला कर सकते हैं, तो हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, या हम आप सभी को सुनेंगे।’’ विधि अधिकारी ने कहा, "सरकार बिल्कुल भी अनिच्छुक नहीं है... मैं खुद से एक सवाल पूछता हूं कि अगर एक पृष्ठ का हलफनामा यह कहते हुए दाखिल किया जाता है कि पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया गया तो क्या वे याचिकाएं वापस ले लेंगे। जवाब नहीं है।" तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इन मुद्दों पर किसी भी चर्चा या बहस में राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा। मेहता ने पीठ से कहा, "हम एक संवेदनशील मामले से निपट रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश की जा रही है।" उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा का एक मुद्दा होगा।" शुरुआत में, मेहता ने पीठ से कहा कि यह मुद्दा ‘‘अत्यधिक तकनीकी’’ है और पहलुओं की जांच के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा इसकी जांच की जरूरत है। यह एक अत्यधिक तकनीकी मुद्दा है। हम क्षेत्र के प्रतिष्ठित तटस्थ विशेषज्ञों को नियुक्त करेंगे।" सिब्बल ने कहा कि केंद्र का हलफनामा यह नहीं बताता कि क्या सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया? उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि सरकार, जिसने पेगासस का इस्तेमाल किया हो या उसकी एजेंसी जिसने हो सकता है इसका इस्तेमाल किया हो, अपने आप एक समिति गठित करें।”याचिकाकर्ताओं के एक वेब पोर्टल द्वारा प्रकाशित समाचार पर भरोसा करने की दलील देते हुए मेहता ने कहा, “हमारे मुताबिक, एक गलत विमर्श गढ़ा गया।”इससे पहले, दिन में केंद्र ने हलफनामे न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं “अटकलों, अनुमानों” और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं।हलफनामे में सरकार ने कहा है कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं।हलफनामे में कहा गया, “उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं।” इसमें कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर जासूसी मुद्दे पर “समानांतर कार्यवाही और बहस” को अपवादस्वरूप लेते हुए कहा था कि अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए और याचिकाकर्ताओं को “व्यवस्था में थोड़ा भरोसा होना चाहिए।”इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं। इनमें से एक याचिका ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की भी है। ये याचिकाएं इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की खबरों से संबंधित हैं।एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे। गौरतलब है कि पांच अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेगासस से जासूसी कराए जाने संबंधी खबरें अगर सही हैं तो यह आरोप ‘‘गंभीर प्रकृति” के हैं।’’ न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से यह भी जानना चाहा था कि क्या उन्होंने इस मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया।एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों और दूसरों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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