कोरोना काल का सदुपयोग पेड़ लगाकर करें, पीपल बाबा ने दिया फॉर्म्युला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 3, 2020 13:09 IST2020-08-03T13:09:12+5:302020-08-03T13:09:12+5:30

कोरोना काल में कृषि से जुड़ने वाले लोगों की तादाद काफी रही है इनमें भी युवाओं की संख्या काफी है | जो लोग शहरों में रोजगार कर रहे थे वो गावों में आकर खेती में लग गए हैं नतीजतन खेती में उत्पादन के बढने के काफी आसार हैं |

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कोरोना काल का सदुपयोग पेड़ लगाकर करें, पीपल बाबा ने दिया फॉर्म्युला

Highlightsभारत में कोरोना संकट के कारण करोडो मजदूर बेरोजगार हुए हैंकोरोना काल में कृषि से जुड़ने वाले लोगों की तादाद काफी रही है इनमें भी युवाओं की संख्या काफी है |

भारत में कोरोना संकट के कारण करोडो मजदूर बेरोजगार हुए हैं, वहीं निजी/प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों के सामने भी रोजगार बचाने का गम्भीर संकट  है | इस परिदृश्य में शहरों से निराश लौट चुके लोग अपने रोजी के रास्ते को अपने गावों में तलाश रहे हैं | लॉक डाउन में हुई असुविधाओं और दूसरे सरकारों द्वारा कमजोर प्लानिंग की वजह से खड़ी होनें वाली दिक्कतों की वजह से ढेर सारे लोगों ने यह मन बना लिया है कि वो लौटकर वापस  शहर नहीं जायेंगे | 

कोरोना काल में कृषि से जुड़ने वाले लोगों की तादाद काफी रही है इनमें भी युवाओं की संख्या काफी है | जो लोग शहरों में रोजगार कर रहे थे वो गावों में आकर खेती में लग गए हैं नतीजतन खेती में उत्पादन के बढने के काफी आसार हैं | इस परिस्थिति में हमे बड़े बाजार की जरूरत होगी अगर हमारे उत्पादन को खरीदनें के लिए निर्यात संवर्धन इकाइयों का विकास नहीं किया जाएगा तब तक इस बढे उत्पादन से किसानी के कार्य में लगे लोगों को को कोई फायदा नहीं होगा | बाजार की अनुपलब्धता की वजह से दाम गिरेंगे |  खेती के  लागत और खेती से मिलने वाली रकम में ज्यादे अंतर नहीं होगा | 

या सच कहें तो खेती घाटे का सौदा हो जायेगी | इस परिस्थिति में किसान अगर अपनी सोच को प्रगतिशील करते हुए खेती के साथ साथ पौधारोपड का कार्य करे तो खेती जहाँ पर तात्कालिक तौर पर जीविका का साधन बनेगी | इसके लिए किसान खेती के साथ -साथ अपने खेतों के किनारे पर पेड़ (सागौन, शीशम, पोपुलर, सफेदा ) लगायें या फलों (आम, अमरुद, केला, नीबू और मौशामी ..) आदि के बगीचे लगायें | आज उनके द्वारा की गई फिक्स डिपोजिट आने वाले 15 से 20 वे साल  में मिलेगा | जबतक रोजगार नहीं है तब तक लोगों को कृषि के साथ साथ कीमती लकड़ियों व फलदार वृक्षों की खेती करनी चाहिए | 

 ढेर सारे युवा कोरोना काल में दूसरे शहरों से अपने गावं पहुच चुके हैं | ये युवा गावं में ही कृषि से जुड़े उद्योगों में ही अपने भविष्य की सम्भावनाएं तलाश रहे हैं | ऐसे युवाओं को एक समूह बनाकर सामूहिक वानिकी का कार्यक्रम चलाना चाहिए | सरकार भी ऐसे समूहों को बंजर जमीने मुहैय्या कराए तो काफी फायदा मिलेगा | इससे मिलने वाले उत्पादों (लकड़ी, फूलों, और फलों....) के एक बड़े हिस्से पर इनका अधिकार दिया जाय अगर ऐसा प्रावधान करके सरकार ऐसे युवाओं को आगे लेकर आती है तो कोरोना काल में ही आने वाले समय के लिए देश में हरियाली क्रांति का आधार बनाया जा सकता है |

अभी ज्यादे लोगों के कृषि कार्य से जुड़ने से जहाँ उत्पादन आवश्यकता से ज्यादे होंगे इस वजह से कृषि फसलों के दाम गिरने के भी आसार होंगे प्रति व्यक्ति कृषि आय कम होगी ऐसे में अगर लोगों अपने जमीनों के चारो और पेड़ लगायें या फिर कुछ जमीन के हिस्से में पूरा पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करें तो वो उनका फिक्स डिपोजिट होगा क्युकि 20 साल बाद ये पेड़ तैयार होकर अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार  में चार चाँद लगायेंगे | 
 

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