पानी के लिए तीन सालों से पत्थरों को चीर रहा पठान का परिवार, पढ़िए मजबूरी की ये दास्तां
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 2, 2018 09:39 AM2018-05-02T09:39:41+5:302018-05-02T09:46:27+5:30
पठान का कहना है कि वह और उसका भाई सखाराम का परिवार साथ रहता है। पठान के तीन बेटे राजेश, कमल और मोहन है। दोनों भाईयों की दो एकड़ खेती है।
भोपाल, 2 मईः जिंदगी की दुश्वारियों के हकीकत की दास्तां देश में बहुत हैं। बिहार राज्य के गहलौर में दशरथ माझी की पत्नी के सामने पहाड़ दुश्वारी बना तो दशरथ ने पहाड़ को ही काट डाला था। जो काफी सुर्खियों में आया, ऐसी ही कुछ दुश्वारियां बड़वानी जिले के अमल्यापानी ग्राम पंचायत के काचलीखोदरी फल्या में पठान भूरिया नाम के व्यक्ति के सामने भी इस समय आई है।
यह दुश्वारी उसके अपने खेत में पानी पहुंचाने की हैं और पठान का यह जुनून अब उसके पूरे परिवार के लिए बड़ा जुनून बन गया है। जानकारी अनुसार पिछले तीन सालों से पठान ने बगैर किसी बड़े संसाधनों के कुआं खोदने का प्रण लेते हुए उसका जिम्मा उठा लिया है। पत्थरों से लबरेज जमीन से पानी निकालने का यह जुनून हावी है। इसके परिवार के लोग हफ्ते में मिलजुलकर एक दिन कुएं की खुदाई करते हैं।
पठान और उसके परिवार का ये जुनून किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है, लेकिन यह दुश्वारियां तब हैं जब कई सरकारी योजनाएं मौजूद है, लेकिन इस परिवार को किसी योजना का लाभ नहीं मिला।
पठान का कहना है कि वह और उसका भाई सखाराम का परिवार साथ रहता है। पठान के तीन बेटे राजेश, कमल और मोहन है। दोनों भाईयों की दो एकड़ खेती है। परिवार गरीब है, इलाके में पानी की भारी किल्लत है, ऐसे में खेत में सिर्फ बारिश के मौसम में ही फसल बो सकते हैं, लेकिन इससे परिवार के नौ लोगों का बड़ी मुश्किल से भरण-पोषण हो पाता है इसलिए सखाराम और पठान के तीनों बेटे मेहनत मजदूरी करने गांव से बाहर बड़े शहरों की ओर चले जाते हैं।
खेत में बारहमासी फसल के लिए कुएं की बहुत जरूरत हैं। इसके लिए पंचायत के ग्राम सभा में आवेदन दिया, लेकिन इलाका काफी पथरीला है। इस कारण यहां पानी ही नहीं निकलेगा कह कर उसके नजरअंदाज कर दिया गया, लेकिन इस परिवार को कुंए की जरूरत तो बहुत ज्यादा है जिसे पूरा करने के लिए खुद ही कुआं खोदने का इस परिवार ने निर्णय लिया। तीन साल पहले इस काम को शुरू किया था। बड़े संसाधन नहीं थे इसलिए गैती फावड़े से ही काम शुरू कर दिया गया था।
जुझारू व्यक्ति पठान ने बताया कि भाई सखाराम और तीनों बेटों के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी मजदूरी के बाद सप्ताह में एक दिन अवकाश पर रहते हैं। यह अवकाश रविवार को मिलता है। इसी दिन सभी लोग मिलकर कुआं खोदने का काम करते हैं। तीन साल में करीब 40 फीट तक का कुआं खोद लिए हैं।
पठान ने बताया कि एक वर्ष पहले भी पंचायत की ग्राम सभा में आवेदन दिया गया था, लेकिन फिर भी कुछ नहीं हो पाया।
पठान ने यह भी पूरे उत्साह से कहा कि हमे उम्मीद है हमारी और हमारे परिवार की मेहनत बिल्कुल भी बेकार नहीं जाएगी। आज नहीं तो कल इस कुएं में पानी जरूर निकलेगा। हमारी कोशिशे अंत तक जारी रहेगी।
(भोपाल से सुधीर शर्मा की रिपोर्ट)
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