Parliament Winter Session 2023: पाक अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटें आरक्षित, क्योंकि ‘पीओके हमारा है’, अमित शाह ने लोकसभा में कहा, जानें मुख्य बातें

By सतीश कुमार सिंह | Published: December 6, 2023 04:07 PM2023-12-06T16:07:57+5:302023-12-06T17:21:57+5:30

Parliament Winter Session 2023: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि जम्मू कश्मीर से संबंधित जिन दो विधेयकों पर सदन में विचार हो रहा है, वे उन सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए लाये गये हैं जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई और जिन्हें अपमानित किया गया।

Parliament Winter Session 2023 pok 24 seats reserved for Pakistan Occupied Kashmir because 'POK is ours' Amit Shah said in Lok Sabha know main points | Parliament Winter Session 2023: पाक अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटें आरक्षित, क्योंकि ‘पीओके हमारा है’, अमित शाह ने लोकसभा में कहा, जानें मुख्य बातें

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Highlightsअपमान हुआ और उपेक्षा की गई।भारत के संविधान की मूल भावना है।आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो।

Parliament Winter Session 2023: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा कि मैं यहां जो विधेयक लेकर आया हूं वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनका अधिकार दिलाने से संबंधित है जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान हुआ और जिनकी उपेक्षा की गई।

किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, यही भारत के संविधान की मूल भावना है। उन्हें इस तरह से आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो। अधिकार देना और सम्मानपूर्वक अधिकार देना दोनों में बहुत अंतर है। इसलिए इसका नाम कमजोर और वंचित वर्ग की बजाय अन्य पिछड़ा वर्ग किया जाना जरूरी है।

शाह ने कहा कि कुछ लोगों ने इसे कम आंकने की भी कोशिश की। किसी ने कहा कि सिर्फ नाम बदल रहा है। मैं उन सभी से कहना चाहूंगा कि अगर हमारे अंदर थोड़ी सी भी सहानुभूति है तो हमें देखना होगा कि नाम के साथ उनका सम्मान जुड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने परिसीमन की सिफारिश के आधार पर तीन सीटों की व्यवस्था की है।

जम्मू कश्मीर विधानसभा में दो सीट कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए और एक सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित हुए लोगों के लिए है।’’ गृह मंत्री के अनुसार, विधानसभा में नौ सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित की गई हैं।

शाह ने कहा कि पीओके लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं क्योंकि ‘‘पीओके हमारा है’’। उन्होंने कहा कि इन दोनों संशोधन को हर वो कश्मीरी याद रखेगा जो पीड़ित और पिछड़ा है। गृह मंत्री ने कहा कि विस्थापितों को आरक्षण देने से उनकी आवाज जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में गूंजेगी।

ये वही लोग देख सकते हैं जो इन्हें अपने भाई की तरह समझकर आगे लाना चाहते हैं, वे इसे नहीं समझ सकते जो इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते हैं...नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं जिनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ और आज देश के प्रधानमंत्री बन गए। वे गरीबों का दर्द जानते हैं।

शाह ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा कि 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह बड़ा भयावह दृश्य था। जो लोग इस ज़मीन को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी ने उनकी परवाह नहीं की।

जिन लोगों पर इसे रोकने की ज़िम्मेदारी थी वे इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे, जब कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया, तो वे अपने देश में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर हो गए। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है।

शाह ने कहा कि पाकिस्तान ने 1947 में कश्मीर पर हमला किया जिसमें लगभग 31,789 परिवार विस्थापित हुए...1965 और 1971 के युद्धों के दौरान 10,065 परिवार विस्थापित हुए। 1947, 1965 और 1969 के इन तीन युद्धों के दौरान कुल 41,844 परिवार विस्थापित हुए। यह यह बिल उन लोगों को अधिकार देने का, उन लोगों को प्रतिनिधित्व देने का एक प्रयास है।

उन्होंने जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबों का दर्द समझते हैं तथा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने पिछड़ों के आंसू पोंछे हैं। शाह ने कहा कि विधेयक पर चर्चा में पक्ष-विपक्ष के 29 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए, लेकिन किसी ने भी इस विधेयक के तत्व का विरोध नहीं किया और विधेयक के उद्देश्य के साथ किसी ने असहमति नहीं जताई है।

उनका कहना था कि ये दोनों विधेयक उन सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए लाये गये हैं जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई और जिन्हें अपमानित किया गया विधेयक का नाम बदलने के कुछ विपक्षी सदस्यों के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा, ‘‘नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग समझ सकते हैं, जो पीछे छूट गए लोगों को संवेदना के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं।

मोदी जी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं। वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं।’’ शाह ने कहा, ‘‘यह वो लोग नहीं समझ सकते हैं जो लच्छेदार भाषण देकर पिछड़ों को राजनीति में वोट हासिल करने का साधन समझते हैं।

प्रधानमंत्री पिछड़ों और गरीब का दर्द जानते हैं।’’ उन्होंने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का उल्लेख करते हुए कहा कि वोट बैंक की राजनीति किए बगैर अगर आतंकवाद की शुरुआत में ही उसे खत्म कर दिया गया होता तो कश्मीरी विस्थापितों को कश्मीर छोड़ना नहीं पड़ता। शाह के अनुसार, पांच-छह अगस्त, 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के संबंध में जो विधेयक संसद में लाया गया था उसमें यह बात शामिल थी और इसलिए विधेयक में ‘न्यायिक परिसीमन’ की बात कही गई है।

गृह मंत्री का कहना था, ‘‘अगर परिसीमन पवित्र नहीं है तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं हो सकता। इसलिए हमने विधेयक में न्यायिक परिसीमन की बात की है।’’ शाह ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के सवालों पर कहा कि कश्मीरी विस्थापितों के लिए 880 फ्लैट बन गए हैं और उनको सौंपने की प्रक्रिया जारी है।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने विस्थापित लोगों के आंसू पोंछे हैं। शाह ने कहा कि कश्मीर में जिनकी संपत्तियों पर कब्जा किया गया उन्हें वापस लेने के लिए कानून भाजपा की सरकार ने बनाया। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस के नेता ओबीसी की बात करते हैं...कुछ नेता होते हैं उन्हें कुछ लिखकर हाथ में पकड़ा दो तो जब तक नई पर्ची नहीं मिलती, वह छह महीने तक एक ही बात बोलते रहते हैं।’’

शाह ने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्गों का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्गों को रोकने का काम कांग्रेस ने किया है। उन्होंने कहा कि सवाल किया जाता है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद कश्मीर में क्या हासिल हुआ। शाह ने कहा कि पहले लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो जाएगी तो वहां खून की नदियां बह जाएंगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इसके प्रावधानों को समाप्त कर दिया और एक कंकड़ तक उछाला गया।

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