नई दिल्ली: सरकार ने संविधान के प्रावधानों का पालन करते हुए संसद का मानसून सत्र आयोजित करवाने का निर्णय ले लिया है. प्रावधान के अनुसार दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए. सभी संभावनाओं पर विचार- विमर्श करने के बाद सरकार ने जुलाई- अगस्त की जगह अगस्त- सितंबर में सत्र का आयोजन करवाने का निर्णय लिया है. यह 22 सितंबर के पहले शुरू किया जाएगा क्योंकि बजट सत्र 23 मार्च को समाप्त हो गया था. इस बार का सत्र कम अवधि का हो सकता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 10 से 15 जुलाई के बीच कोविड- 19 महामारी चरम पर होगी अत: इसके बाद ही सत्र की सटीक तिथियों की घोषणा की जाएगी. सरकार का मानना है कि तब तक चीन के साथ चल रही कूटनीतिक वार्ता भी किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाएगी. हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में कुछ मुद्दों पर दोनों सदनों के अधिकारियों ने बैठक कर महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए हैं.
कई तकनीकी समस्याएं देखी गईं
विज्ञान भवन में सत्र करवाने का सुझाव व्यवहार्य नहीं पाया गया. वास्तव में इसमें कई तकनीकी समस्याएं देखी गईं. संसद भवन में भी वर्चुअल सत्र करवाने की सुविधाएं फिलहाल नहीं है. न तो आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर है जिससे हर सांसद को जोड़ा जा सके और न ही जूम जैसा एप्प ही उपलब्ध है.
अत: यह तय किया गया है कि सुरक्षित दूरी के नियमों का पालन करते हुए सत्र का पहले की तरह ही आयोजन किया जाए. कौन से सांसद कब बुलाए जाए इस पर विमर्श जारी है. कुछ पार्टियां इसके लिए सहमत है जबकि कुछ छोटी पार्टियों को इस पर आपत्ति है.