जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के प्रस्ताव पर बढ़ी पाकिस्तान की बैचैनी, पाकिस्तानी मीडिया में हलचल
By स्वाति सिंह | Updated: August 5, 2019 13:20 IST2019-08-05T13:19:40+5:302019-08-05T13:20:47+5:30
राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार (5 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का संकल्प पेश करने के बाद 8000 जवानों को विमानों के जरिए जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के प्रस्ताव पर बढ़ी पाकिस्तान की बैचैनी, पाकिस्तानी मीडिया में हलचल
जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत के संविधान के आर्टिकल 370 के खंड 1 के अलावा इस आर्टिकल के सारे खंडों को रद्द करने की सिफारिश की। गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से राज्यसभा में पेश किए गए संकल्प में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे।
गृह मंत्री द्वारा इस प्रस्ताव के बाद पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ गई है। पाकिस्तान के मुख्य अखबार भी कश्मीर को लेकर रही हलचल की खबरों के पीछे लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान केवल 35ए तक ही सीमित था।
बढ़ी पाकिस्तान की बैचैनी
पाकिस्तान की बैचैनी का इस तरह से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रविवार को पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक की। एनएससी की बैठक में रक्षा मंत्री परवेज खत्ताक, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, गृह मंत्री ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) एजाज शाह, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख, आईएसआई के प्रमुख और अन्य शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है पाकिस्तान भारत के किसी भी दुस्साहस और उकसावे के खिलाफ खुद के बचाव के लिये तैयार है और कश्मीर के लोगों को हर तरह के कूटनीतिक, नैतिक और राजनीतिक समर्थन देना जारी रहेगा। बैठक में भारत की कार्रवाइयों की आचोलना की गई।
बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान एक बार फिर दोहराता है कि कश्मीर लंबे समय से अनसुलझा अंतरराष्ट्रीय विवाद है जिसके शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता है। लिहाजा पाकिस्तान भारत से आग्रह करता है कि वह कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप इस मुद्दे को हल करने के लिए आगे आए।" बयान के मुताबिक (कश्मीर घाटी में) सुरक्षा बलों की हालिया तैनाती आग में घी डालने जैसी है। बयान में कहा गया, "फोरम ऐसे समय में भारत की इस तरह की रणनीति की कड़ी निंदा करता है जबकि पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगान संकट के समाधान पर ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं।"
पाक मीडिया में हलचल तेज
बीते कुछ दिनों में पाकिस्तानी मीडिया में भी कश्मीर को लेकर काफी खबरें चल चुकी हैं।पाकिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट द डॉन में भारत की केंद्र सरकार को हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा सरकार कहकर संबोधित किया गया है। इसको फैसले का अंदाजा लगाना पाकिस्तान सरकार और वहां की मीडिया महज 35-ए तक ही सीमित था। यहां पर ये भी बताना बेहद जरूरी है कि आखिर पाकिस्तान के नामी अखबार के संपादकीय में कश्मीर हालात पर आखिर क्या कुछ कहा जा रहा था।
इसमें लिखा गया है कि भारत जवानों की तैनाती के साथ ही उन इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। भारतीय मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए इस संपादकीय में लिखा गया है कि केंद्र ने कश्मीर में 25 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है।
इमरान खान ने की अमेरिका से अपील
इससे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कश्मीर मामले में मध्यस्थता करें। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने लिखा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता की पेशकश की। अब ऐसा करने का समय आ गया है क्योंकि वहां हालात खराब हो रहे हैं और नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना नए आक्रामक कदम उठा रही है।"
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्रीय संकट को हवा देने वाले कदम हैं। खान ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय के उनके अधिकार का उपयोग करने दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा का एकमात्र रास्ता कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण समाधान से होकर गुजरता है।" उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने "क्लस्टर बमों" का इस्तेमाल किया। इमरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस पर ध्यान देने के लिए कहा।
क्या कहते हैं पाकितान के आम लोग
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के नागरिकों के बीच भी इस मामले को लेकर चर्चा चल रही है। बीबीसी ने स्थानीय नागरिकों का हवाला देते हुए लिखा है कि अभी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब चल रही है। ऐसे में अगर अभी भारत कोई भी जंग या आक्रामक क़दम उठाता है तो पाकिस्तान का पूरा क्षेत्र अशांत हो सकता है। इसके चलते अफ़ग़ानिस्तान, चीन और ईरान की सीमा पर हालात तनावपूर्ण हो सकते हैं