पहल: अनाथ और बेसहारा बच्चे आश्रय स्थलों में कर्मियों के भरोसे जी रहे हैं जीवन

By भाषा | Published: May 15, 2020 02:15 PM2020-05-15T14:15:50+5:302020-05-15T14:15:50+5:30

देश के 22 राज्यों में 32 एसओएस गांव हैं। प्रत्येक गांव में 10-12 घर होते हैं जिसमें बच्चे, कर्मियों के साथ रहते हैं। देश के ऐसे गांवों के घरों में 16,700 अनाथ और बेसहारा बच्चे रहते हैं।

Orphans and destitute children are living the lives of workers in shelter sites | पहल: अनाथ और बेसहारा बच्चे आश्रय स्थलों में कर्मियों के भरोसे जी रहे हैं जीवन

प्रतीकात्मक तस्वीर (एएफपी फोटो)

Highlightsअसम के होजाई में गांव की नर्स छाया बोरा रोजाना तीन किलोमीटर की यात्रा करके बच्चों की देखरेख करने वाली संस्था तक पहुंचती हैं।चेन्नई की कस्तूरी ने कहा कि वह बच्चों को योग और ध्यान करना सिखाती हैं।

कोलकाता में रूकिया खातून अपने दिन की शुरुआत अनाथ और बेसहारा बच्चों के आश्रय स्थल पर जाकर उनकी देखभाल से करती हैं। वह बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती हैं और अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें दवाई देती हैं। खातून उन लोगों में शामिल हैं जो कोरोना वायरस संकट के समय लागू बंद के बीच अनाथ और बेसहारा बच्चों की सेवा कर रही हैं। भारत के एसओएस बाल ग्राम में सेवा शुरू करने से पहले वह एक नर्सिंग होम में काम कर चुकी हैं। यहां वह बच्चों के उपचार से जुड़ी छोटी-मोटी चिकित्सीय जरूरतों को देखती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं बच्चों के उपचार से जुड़ी चीजें देखती हूं। अस्पताल में भर्ती होने के बाद जब एक लड़की वापस लौटी तो एक दिन में मैंने दो बार उसके पास जाना शुरू किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह सही समय पर दवाई ले रही है। एक बच्चे का पैर भी कटा हुआ है, उसकी भी मरहम पट्टी करती हूं।’’ खातून सामुदायिक रसोई में भी सेवा देती हैं।

असम के होजाई में गांव की नर्स छाया बोरा रोजाना तीन किलोमीटर की यात्रा करके बच्चों की देखरेख करने वाली संस्था तक पहुंचती हैं। वह अपने प्रयासों से इन बच्चों की जिंदगी में बदलाव की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ जब बंद लागू किया गया तो मुझे घर पर परिवार के साथ रहने का विकल्प दिया गया था लेकिन मैं इन बच्चों की देखरेख को लेकर चिंतित थी और इस वजह से मैं केयर होम आती हूं और उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखती हूं।’’

कई आश्रय स्थलों में बच्चों की देखरेख का काम करने वाली कर्मचारी बंद के दौरान बच्चों को अलग-अलग गतिविधियों से जोड़े रखने का काम कर रही हैं। इसी संबंध में चेन्नई की कस्तूरी ने कहा कि वह बच्चों को योग और ध्यान करना सिखाती हैं। देश के 22 राज्यों में 32 एसओएस गांव हैं। प्रत्येक गांव में 10-12 घर होते हैं जिसमें बच्चे, कर्मियों के साथ रहते हैं। देश के ऐसे गांवों के घरों में 16,700 अनाथ और बेसहारा बच्चे रहते हैं।

भारत के एसओएस बाल ग्राम के महासचिव सुदर्शन सुची ने बताया कि कोरोना वायरस के समय ऐसे घरों के सामने संकट खड़े हो गए हैं क्योंकि इस संकट ने गैर सरकारी संगठनों के सामने धन की दिक्कतें पैदा कर दी है जबकि अभी ही इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे सामुदायिक स्तर पर होने वाले कल्याणाकारी कार्य प्रभावित हैं। 

Web Title: Orphans and destitute children are living the lives of workers in shelter sites

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे